आईआईटी (आईएसएम) में मनाया गया वर्ल्ड हैबिटेट डे

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आईआईटी (आईएसएम) में मनाया गया वर्ल्ड हैबिटेट डे
डीजे न्यूज, धनबाद: आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के पर्यावरण विज्ञान एवं इंजीनियरिंग विभाग में मंगलवार को वर्ल्ड हैबिटेट डे मनाया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन द इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया)  धनबाद लोकल सेंटर और ईआइएसीपी प्रोग्राम सेंटर पर्यावरण विज्ञान एवं इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

इस वर्ष का थीम “अर्बन सोल्यूशन टू क्राइसिस” (संकट के समाधान के लिए शहरी उपाय) रखा गया था, जो तेजी से बढ़ते शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन और विस्थापन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए टिकाऊ और समावेशी शहरी योजना की जरूरत पर बल देता है। कार्यक्रम में इस बात पर चर्चा हुई कि शहरों को आपातकालीन प्रतिक्रियाओं से आगे बढ़कर लंबे समय तक टिकाऊ विकास की दिशा में काम करना चाहिए ताकि सामाजिक एकता, पर्यावरणीय संतुलन और बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित किया जा सके।

कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. बिस्वजीत पॉल, प्रोफेसर, पर्यावरण विज्ञान एवं इंजीनियरिंग विभाग, और सचिव, धनबाद लोकल सेंटर के स्वागत भाषण से हुई।
उन्होंने कहा कि वर्ल्ड हैबिटेट डे शहरी विकास में स्थिरता और समानता को बढ़ावा देने का एक बेहतर अवसर है। उन्होंने कहा कि खनन और औद्योगिक क्षेत्र जैसे धनबाद में शहरी विकास को पर्यावरणीय संरक्षण और सामुदायिक हितों के साथ संतुलित रूप से आगे बढ़ाना बेहद जरूरी है।

प्रो. आलोक सिन्हा, विभागाध्यक्ष, पर्यावरण विज्ञान एवं इंजीनियरिंग विभाग और कोऑर्डिनेटर, आईआईटी (आईएसएम) धनबाद ने उद्घाटन संबोधन दिया। उन्होंने अपने हालिया दलमा वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी दौरे का अनुभव साझा करते हुए प्राकृतिक आवासों के संरक्षण और एनिमल कॉरिडोर जैसे उपायों की जरूरत पर जोर दिया, ताकि शहरी विस्तार और पारिस्थितिकी संतुलन के बीच तालमेल बना रहे।

मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. रिया दत्ता, असिस्टेंट प्रोफेसर, पर्यावरण विज्ञान एवं इंजीनियरिंग विभाग ने “क्लाइमेट चेंज एंड ईट्स इम्पैक्ट टू अर्बन एरियास” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण शहरों में हीटवेव, बाढ़ और जल संकट जैसी स्थितियां बढ़ती जा रही हैं। उन्होंने ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर, वेटलैंड संरक्षण, बेहतर ड्रेनेज सिस्टम और स्थानीय स्तर पर सामुदायिक भागीदारी के जरिए शहरों को क्लाइमेट-रेजिलिएंट और टिकाऊ बनाने पर जोर दिया।

कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने शहरी जीवन, जलवायु अनुकूलन और पर्यावरणीय संतुलन पर सार्थक चर्चा की। यह आयोजन इस बात पर केंद्रित था कि कैसे वैज्ञानिक शोध और स्थानीय पहलें मिलकर टिकाऊ और बेहतर शहरी भविष्य की दिशा में योगदान दे सकती हैं।

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