आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच की दो दिवसीय बैठक संपन्न, भाजपा शासित राज्यों में आदिवासियों पर अधिक हमले: जितेन चौधरी

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आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच की दो दिवसीय बैठक संपन्न,

भाजपा शासित राज्यों में आदिवासियों पर अधिक हमले: जितेन चौधरी

डीजे न्यूज, रांची: आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच एक अखिल भारतीय संगठन है जो पूरे देश में आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार अभियान चला रहा है। एक ओर केंद्र सरकार आदिवासियों के विकास के लिए बड़ी – बड़ी बात करती है लेकिन धरातल पर स्थिति पूरी तरह विपरित है। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के ताजे आंकड़ों के अनुसार देश के 29 प्रतिशत आदिवासियों के खिलाफ हमले दर्ज किए गए हैं। यानि भारत में प्रति दिन 36 आदिवासी हमले के शिकार होते हैं। इसमें सबसे अधिक घटनाएं भाजपा शासित राज्यों में दर्ज की गई हैं। उसी प्रकार चाहे वन अधिकार कानून के अंतर्गत वन भूमि का पट्टा दिए जाने के लिए दिए गए आवेदन को रद्द करने का मामला हो या युनियन बजट द्वारा आदिवासी उप योजनाओं के लिए आवंटित राशि का दुरुपयोग हो सभी में भाजपा शासित राज्य अव्वल हैं।
यह बातें आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच की राष्ट्रीय समन्वय समिति की रांची मे संपन्न हुई दो दिवसीय  बैठक के समापन बेला पर शुक्रवार को आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष और त्रिपुरा विधानसभा में नेता विपक्ष जितेन चौधरी ने कही।
उन्होंने कहा की झारखंड में आदिम जनजाति की अच्छी संख्या रहने के बावजूद वे विकास की रौशनी से वंचित हैं।
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए मंच के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व सांसद पुलिन बिहारी बास्की ने कहा कि आज से 22 वर्ष पूर्व झारखंड में ही आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच का स्थापना सम्मेलन हुआ था उसके बाद से अखिल भारतीय स्तर पर अभी देश के 21 से ज्यादा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आदिवासी अधिकारों को लेकर संघर्ष करने में मंच एक अग्रणी संगठन के रुप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है‌। उन्होंने भाजपा सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा की मंच की राष्ट्रीय मिटिंग में आदिवासी बहुल इलाकों में खनन के चलते विस्थापन और प्रदूषण का बढता दायरा, वन संरक्षण कानून में कार्पोरेट पक्षीय संशोधन, जल, जंगल, जमीन और खनिज की लूट, पशु रिजर्व के संरक्षण के नाम पर वन भूमि से आदिवासियों को खदेड़े जाने के खिलाफ आने वाले दिनों में एक बड़ा और जुझारू अभियान संगठित किया जाएगा।
मंच की बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर शहीद सुभाष मुंडा के हत्या की जांच अभी तक पूरी नहीं किए जाने और मुख्य हत्यारे और साजिशकर्ताको की अभी तक गिरफ्तारी नहीं होने पर चिंता व्यक्त करते हुए राज्य सरकार से इसमें हस्तक्षेप किए जाने की मांग की गई। बैठक में आदिवासी आक्रोश रैली में भाग लेकर वापस आते हुए बुंडू में हुई संड़क दुघर्टना में मौत के शिकार हुए व्यक्तियों को श्रद्धांजलि दी गई।
प्रेस वार्ता में तमिलनाडु के पूर्व विधायक और मंच के प्रमुख नेता दिल्ली बाबू, रांची के जिला सचिव प्रकाश टोप्पो और डा.किरती सिंह मुंडा भी मौजूद थे।

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