कश्मीर में 370 की वापसी की तरह झारखंड 1932 आधारित डोमिसाइल राजनीतिक छलावा : सालखन मुर्मू

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डीजे न्यूज, रांची :
आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा है कि
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रह चुके गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर के तमाम नेताओं और पार्टियों को ललकारा है कि अनुच्छेद 370 को वापस करने की बात अभी एक छलावा के सिवाय और कुछ भी नहीं है। कश्मीरी जन के साथ धोखेबाजी है। ठीक उसी प्रकार झारखंड में 1932 आधारित डोमिसाइल की बात करना भी झारखंडी जन के साथ एक छलावा ही है। जो लोग इसका दावा कर रहे हैं, उन्हें पहले झारखंड हाई कोर्ट द्वारा 27 नवंबर 2002 को खारिज खतियान आधारित डोमिसाइल या स्थानीयता को पहले तर्कों और तथ्यों से गलत प्रमाणित करना चाहिए। नेतागिरी चमकाने और झारखंडी जन को बार-बार ब्लैकमेल करना ठीक नहीं है।
आदिवासी सेंगेल अभियान के अनुसार वर्तमान परिस्थितियों में शहीदों के सपनों का झारखंड बनाने के लिए निम्न तीन मुद्दों पर झारखंड जन आंदोलन को आगे बढ़ाना चाहिए : —प्रखंडवार नियोजन नीति लागू करना और केवल प्रखंड के आवेदकों से भरना।
—– झारखंडी भाषाओं को स्थापित करने के लिए जोरदार आंदोलन चलाना।
—– झारखंडी भाषा- संस्कृति और जातिगत सूची के आधार पर झारखंडी की पहचान को स्थापित करना ही, झारखंडी डोमिसाइल है।
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झारखंडी जन को डोमिसाइल के नाम पर दो दशकों से बेवकूफ बनाने का काम दुर्भाग्यपूर्ण है। हेमंत सरकार बिधान सभा में 1932 खतियान आधारित स्थानीयता को लागू नहीं कर सकने की घोषणा कर चुकी है। अब झामुमो के एक/दो मंत्री और एक विधायक 1932 लागू करने का झुनझुना बजा रहे हैं। अच्छा होगा, जो संभव और व्यवहारिक हो सकता है, उसकी बात हो। तभी लाभ मिल सकता है।

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