ठंडी हवा चली है, क्रिसमस का खुशबू लाया है,,,गीत से गूंजा संत एंथोनी चर्च

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ठंडी हवा चली है, क्रिसमस का खुशबू लाया है,,,गीत से गूंजा संत एंथोनी चर्च

डीजे न्यूज, धनबाद: ठंडी हवा चली है, क्रिसमस का खुशबू लाया है जैसे गीत के बोल से पूरा चर्च परिसर गूंज उठा। मौका था *क्रिसमस गैदरिंग* (क्रिसमस मिलन समारोह ) का। क्रिसमस गैदरिंग के पूर्व अर्थात आगमन काल के चौथे एवं अंतिम रविवार के अवसर पर प्रातः 7:30 बजे संत एंथोनी चर्च धनबाद में प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। आज आगमन काल के अंतिम रविवार में हजारों की संख्या में ईसाई धर्मावलंबी उपस्थित हुए। क्रिसमस की धूम ईसाई समुदायों में आगमन काल से ही अर्थात चार रविवार पूर्व से ही शुरू हो जाती है। आगमन काल के चारों रविवार भिन्न-भिन्न रंगों की मोमबत्तियां का प्रतिनिधित्व करती है। आगमन काल के पहले तथा दूसरे सप्ताह के रविवार में बैंगनी रंग की मोमबत्ती क्रमशः आशा और शांति अर्थात भविष्यवाणी और बेथलेहम की मोमबत्ती कही जाती है। इस प्रकार तीसरे तथा चौथे रविवार में क्रमशः गुलाबी एवं बैंगनी रंग की मोमबत्ती अर्थात चरवाहा तथा देवदुत की मोमबत्ती का प्रतीक है। आगमन काल में चर्च के फादर बैगनी रंग का वस्त्र पहनकर यह आह्वान करते हैं कि इस संसार के मुक्तिदाता का जन्म होने वाला है। हम सभी आध्यात्मिक रूप से तैयार होकर उनका स्वागत करें। जिस तरह प्रभु यीशु के जन्म के पूर्व स्वर्ग से उतरकर दूत सेनाओं ने चरवाहों एवं गडेड़ियों को संदेश सुनाया था कि एक उद्धारकर्ता बालक का जन्म होने वाला है जो चरनी में लेटा हुआ है ।


फादर अमातुस कुजूर ने अपने उपदेश में कहा कि- हम आज प्रभु यीशु ख्रीस्त के जन्म पर्व के बहुत ही नजदीक पहुंच गए हैं। इसी के साथ कलीसिया हम सबों को आंतरिक एवं आत्मिक रूप से तैयार होने का आह्वान करती है। दरअसल आज हम सभी अगर यहां इकट्ठे हुए हैं तो उसके पीछे हम सभी का एक अटूट विश्वास है। जो हम अपने प्रभु यीशु ख्रीस्त पर करते हैं। हमारा यह विश्वास हमें एक साथ एक कलीसिया में बांधकर रखता है और इसी विश्वास के कारण हम अपने मसीही जीवन में प्रार्थना में आगे बढ़ते जाते हैं। इसी विश्वास के कारण ही माता मरियम ने परमेश्वर की आज्ञा को स्वीकार किया। आज हमें भी आवश्यकता है कि हम अपने विश्वास को परखें- जांचे और बालक यीशु पर विश्वास करें। प्रार्थना सभा के पश्चात क्रिसमस गैदरिंग का आयोजन किया गया जिसमें कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत चर्च के युथ द्वारा प्रेयर डांस से की गई।


तत्पश्चात कई प्रकार के कार्यक्रम जैसे संत एंथोनी स्कूल, कार्मल स्कूल एवं यूथ द्वारा मनमोहक क्रिसमस आधारित गानों पर नृत्य प्रस्तुति की गई साथ ही कोयर सिंगिंग कंपटीशन का भी आयोजन किया गया। जिसमें संत एंथोनी स्कूल, कार्मल स्कूल, संत एंथोनी चर्च यूथ, तेलीपाड़ा, सूर्य विहार, महावीर नगर, सिद्धू कानू नगर, स्टील गेट आदि द्वारा मन को मोह लेने वाले कायर सॉन्ग प्रस्तुत किए गए। साथ ही चरनी बनाने का भी कंपटीशन रखा गया था जिसमें महावीर नगर के लोगों के द्वारा बनाई गई चरणी को प्रथम स्थान मिला।
चरणी तीन अक्षरों का एक ऐसा शब्द है जिसे ईसाई समुदाय का हर एक बच्चा जानता और समझता है। अंग्रेजी में इसे *क्रिब* के नाम से जाना जाता है। यह बालक यीशु के जन्म स्मृति को एक खास पहचान देता है क्योंकि बालक यीशु का जन्म बेथलेहम नगरी के एक गौशाला में हुआ था। जहां जन्म उपरांत माता मरियम ने उन्हें पुआल तथा सूखी लकड़ियों से बनी एक चरनी में सफेद कपड़े में रखा था‌ इसी चरनी का सांकेतिक रूप ईसाई समुदाय का हर एक परिवार क्रिसमस के मौके पर अपने घरों में बनाते हैं। चरनी बनाने के लिए विभिन्न सामग्रियों जैसे कटे हुए बांस के टुकड़े, पुआल, मूर्ति आदि का इस्तेमाल किया जाता है। मूर्तियों में बालक यीशु, माता मरियम, पिता जोसेफ  तथा पूर्व देश से आए तीन राजा होते हैं। चरनी के ऊपर स्वर्गदूत होता है और साथ ही एक तारा लगाया जाता है। घर-घर में बना चरनी बालक यीशु के जन्मोत्सव का अद्भुत परिदृश्य करता है। साथ ही मानव जाति के लिए यह संदेश देता है कि वह एक परमेश्वर का पुत्र होने के बावजूद भी अमीर गरीब का भेदभाव मिटाकर एक साधारण मनुष्य के रूप में मानव जाति की मुक्ति के लिए संसार में जन्म लिया । कार्यक्रम को सफल बनाने में मंच संचालन अमूल्य बेक के द्वारा किया गया जिसमें उन्होंने यह बताया कि संत निकोलस की याद में सांता क्लास का प्रचलन चल रहा है। संत निकोलस एक उदार हृदय वाले व्यक्ति थे। जिनके माता-पिता की मृत्यु 10 वर्ष की उम्र में ही हो गई थी। उन्होंने यह तय किया कि उनके पास जो भी संपत्ति है उसमें से वह लोगों के बिना जाने, बिना उनको बतलाए चुपचाप से उन्हें तोहफा दिया करेंगे। इसी दान दक्षिणा से यह प्रचलन शुरू हुआ। आज क्रिसमस के पूर्व रात में लोग अपने घरों के बाहर मोजे टांगने लगे, इस उम्मीद में कि सांता क्लाज उनके घर आएंगे और उन्हें तोहफे के रूप में कुछ ना तोहफा दे जाएंगे। सांता क्लाज की लाल वस्त्र, सफेद दाढ़ी और उपहार ही उनकी पहचान है जो विश्वास, प्रेम और बलिदान की कहानी को बताता है। कार्यक्रम के अंत में विभिन्न प्रतियोगिताओं में शामिल विजेताओं को पुरस्कार देते हुए सम्मानित किया गया तथा फादर अमातुस कुजूर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में शिशिर प्रभात तिर्की, विमल खाखा, इटवा टूटी, रिशु सुरीन आदि की सराहनीय भूमिका रही।

क्रिसमस के शुभ अवसर पर 24 दिसम्बर को रात्रि 10:30 बजे प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया है। प्रार्थना सभा के पूर्व कॉल ग्रुप के द्वारा रात्रि 10:00 से कैरल सिंगिंग का आयोजन किया गया है। 25 दिसम्बर को प्रातः 7:30 बजे प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया है।

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