सशिवि मंदिर बाघमारा में ‘सप्तशक्ति संगम’ कार्यक्रम संपन्न

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सशिवि मंदिर बाघमारा में ‘सप्तशक्ति संगम’ कार्यक्रम संपन्न

डीजे न्यूज, कतरास(बाघमारा):सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, बाघमारा में विद्यालय स्तरीय ‘सप्तशक्ति संगम’ कार्यक्रम का आयोजन मंगलवार को किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ स.शि.वि.मंदिर, भूतगढ़िया की प्रधानाचार्या कंचनमाला, सप्तशक्ति की विद्यालय संयोजिका एवं जिला सह संयोजिका अनिता कुमारी साव, स.शि.वि. मंदिर,भूली की आचार्या अनुराधा कुमारी एवं मातृ भारती की अध्यक्षा माधुरी कुमारी के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
विद्यालय की आचार्या विभा श्रीवास्तव ने मंचासीन अतिथियों का ससम्मान परिचय कराया। इसके पश्चात विद्यालय की संयोजिका अनिता कुमारी साव ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि “माताएं शक्ति स्वरुपा है– माताएं परिवार की आधारशिला, समाज की प्रेरणा और राष्ट्र की आत्मा है। हमारी पवित्र पुस्तक गीता के अनुसार नारी में सप्त गुण—कीर्ति, श्री, धन, वाणी, स्मृति, धैर्य और क्षमा—निहित हैं। यदि नारी इन गुणों को जागृत कर ले, तो वह समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है।” उन्होंने मातृशक्ति से आत्मनिर्भरता के साथ इन गुणों को जीवन में उतारने का आह्वान किया।
इस अवसर पर अनुराधा कुमारी दीदीजी ने ‘कुटुंब प्रबोधन एवं पर्यावरण संरक्षण’ विषय पर सारगर्भित विचार रखे। उन्होंने कहा कि नारी के लिए प्रथम बिंदु स्वास्थ्य है—स्वस्थ माता से ही स्वस्थ परिवार, समाज और राष्ट्र का निर्माण होता है। कुटुंब प्रबोधन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि कुटुंब व्यवस्था के कारण ही हमारी संस्कृति बची हुई है। सभी भारतीयों को पंच परिवर्तन की आवश्यकता है।माँ के मन, वचन और कर्म से ही शिशु का संस्कार एवं मार्गदर्शन होता है। हम अपने बच्चों में अपनी संस्कृति और सभ्यता को विकसित कर सकते हैं।
द्वितीय वक्ता कंचनमाला ने कहा कि देश के विकास में महिलाओं की भूमिका सर्वोपरि है। महिलाएं दो परिवारों को जोड़कर समाज को सही दिशा देती हैं। यह कार्यक्रम मातृशक्ति के जागरण का सशक्त माध्यम है। आज आवश्यकता है जीजाबाई जैसी मातृत्व शक्ति, भगिनी निवेदिता जैसी राष्ट्रभक्ति, मीरा जैसी भक्ति और अहिल्याबाई जैसी कर्तव्यपरायण नारी की, जो राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाए।” उन्होंने बताया कि  राष्ट्रीय सेविका संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में मातृशक्ति के लिए यह विशेष पहल की गई है। कार्यक्रम के अंतर्गत सांस्कृतिक चेतना को प्रोत्साहित करने हेतु विद्यालय की आचार्या भारती सिन्हा के द्वारा प्रश्नोत्तरी आयोजित की गई। साथ ही लक्ष्मीबाई केलकर और सावित्रीबाई फुले की झाँकियों के माध्यम से उनके योगदान से भी परिचित करवाया गया।
संयुक्त परिवार की परंपरा को जीवित रखने हेतु विशिष्ट माता प्रमिला देवी को सम्मानित किया गया। जिन्होंने अपने पुत्र को राष्ट्र सेवा में समर्पित किया है। इन्होंने सामाजिक समरसता तथा नारी सशक्तिकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इनका पर्यावरण से भी अटूट प्रेम है।अतः समय-समय पर पर्यावरण स्वच्छता को लेकर समाज को जागृत करने का प्रयास भी करती हैं।
कार्यक्रम में उपस्थित मातृशक्ति का धन्यवाद संध्या सिन्हा दीदीजी के द्वारा किया गया।  कार्यक्रम का सफल संचालन विभा श्रीवास्तव दीदीजी ने किया। विद्यालय के सभी आचार्य-दीदीजी एवं सेवक- सेविकाओं के सहयोग से यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

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