थैलीसीमिया लाइलाज, लेकिन जागरूकता से इसके प्रभाव को रोका जा सकता : प्रो. सुनीता जेटली लायंस क्लब ऑफ धनबाद कोलफील्ड्स के थैलीसीमिया जागरूकता कार्यक्रम में 312 छात्रों को दी गई विस्तृत जानकारी

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थैलीसीमिया लाइलाज, लेकिन जागरूकता से इसके प्रभाव को रोका जा सकता : प्रो. सुनीता जेटली
लायंस क्लब ऑफ धनबाद कोलफील्ड्स के थैलीसीमिया जागरूकता कार्यक्रम में 312 छात्रों को दी गई विस्तृत जानकारी
डीजे न्यूज, तिसरा(धनबाद) : लायंस क्लब ऑफ धनबाद कोलफील्ड्स की ओर से गुरुवार को झरिया स्थित राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर में कक्षा छठी, सातवीं और आठवीं के 312 छात्रों को थैलीसीमिया जैसी गंभीर बीमारी के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। कार्यक्रम में दिल्ली यूनिवर्सिटी से आई डॉक्टर प्रो. सुनीता जेटली ने छात्रों को थैलीसीमिया, उसके कारण, पहचान और उससे बचाव के तरीकों के बारे में विस्तार से बताया।
प्रो. सुनीता जेटली वर्तमान में आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज, नई दिल्ली में कार्यरत हैं। वे स्टेट ब्लड सेल कोऑर्डिनेटर, दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में थैलीसीमिया अवेयरनेस एंड स्क्रीनिंग की इंचार्ज हैं, भोर लिविंग ह्यूमन फाउंडेशन की डायरेक्टर हैं, और लायंस क्लब श्री राधे, दिल्ली में थैलीसीमिया एवं कैंसर अवेयरनेस एंड स्क्रीनिंग की जिला चेयरपर्सन के रूप में भी कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि थैलीसीमिया लाइलाज बीमारी है, लेकिन जागरूकता और समय पर जांच से इससे बचाव और इसके प्रभाव को काफी हद तक रोका जा सकता है। जागरूकता की कमी के कारण परिवार आर्थिक, मानसिक और शारीरिक रूप से गंभीर समस्याओं का सामना करता है। उन्होंने छात्रों को समझाया कि इसे पहचानना आसान है और सीबीसी ब्लड टेस्ट के दो पैरामीटर और मेंट्जर इंडेक्स की मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि कोई व्यक्ति इस बीमारी का कैरियर है या नहीं। उन्होंने बताया कि यदि दोनों जीवनसाथी कैरियर हों तो बच्चे में इस बीमारी के होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए शादी से पहले दोनों की जांच आवश्यक है। यदि ऐसा संभव नहीं हो पाता है, तो गर्भ के तीन महीने के भीतर विशेष जांच द्वारा पता लगाया जा सकता है कि बच्चा कैरियर होगा या बीमारी से ग्रसित होगा। उन्होंने डॉक्टर से उचित परामर्श अवश्य लेने की सलाह दी। इस अवसर पर लायन सोमनाथ प्रुथी ने बच्चों को नियमित रक्तदान की महत्ता समझाई। उन्होंने कहा कि थैलीसीमिया से पीड़ित बच्चों को निरंतर ब्लड की आवश्यकता होती है, इसलिए हर व्यक्ति को 18 वर्ष की उम्र के बाद साल में कम से कम तीन बार रक्तदान करना चाहिए। इससे जरूरतमंदों की मदद होती है और रक्तदान करने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। लायन ए. पी. जे. सिंह ने बच्चों से खुश रहने और मानसिक तनाव कम रखने की अपील की, जिससे उनका स्वास्थ्य अच्छा बना रहे। विद्यालय के प्राचार्य सुमंत कुमार मिश्रा ने कार्यक्रम के लिए लायंस क्लब और प्रो. सुनीता जेटली का आभार व्यक्त किया। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने माता-पिता और रिश्तेदारों को भी इस बीमारी और इसकी जांच के प्रति जागरूक करें। लायंस क्लब ऑफ़ धनबाद कोलफील्ड्स ने बताया कि उनकी कोशिश रहेगी कि ऐसे जागरूकता कार्यक्रम विभिन्न स्कूलों में आयोजित किए जाएं और आवश्यकता होने पर ब्लड टेस्ट कम शुल्क पर या निशुल्क उपलब्ध कराया जाए, ताकि लोग सही निर्णय ले सकें।

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