विधायक शत्रुघ्न महतो ने विधानसभा में उठाए दो अहम मुद्दें सरकारी सेवाओं में महिलाओं को आरक्षण तथा पुलिसकर्मियों के भत्तों के भुगतान में विलंब क्यों : शत्रुघ्न महतो

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विधायक शत्रुघ्न महतो ने विधानसभा में उठाए दो अहम मुद्दें

सरकारी सेवाओं में महिलाओं को आरक्षण तथा पुलिसकर्मियों के भत्तों के भुगतान में विलंब क्यों : शत्रुघ्न महतो
डीजे न्यूज, कतरास (धनबाद): झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सोमवार को बाघमारा के विधायक शत्रुघ्न महतो ने राज्य के भविष्य और जनहित से जुड़े दो महत्त्वपूर्ण प्रश्नों को सदन में प्रमुखता से उठाया।
पहला मुद्दा महिलाओं को सरकारी सेवाओं में मिलने वाले आरक्षण से सम्बंधित था, जिस पर उन्होंने सरकार से स्पष्ट जवाब माँगा कि जब 11 दिसम्बर 2024 को महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की अधिसूचना जारी की गई थी, तब आज भी झारखंड में केवल 5 प्रतिशत आरक्षण ही क्यों लागू है। उन्होंने यह भी कहा कि पड़ोसी राज्य बिहार में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल रहा है, लेकिन झारखंड में सरकार अपने वादे से पीछे हटती दिख रही है। महिलाओं के अधिकारों और समान अवसरों की उपेक्षा किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है, इसलिए सरकार को इस दिशा में शीघ्र निर्णय लेने की आवश्यकता है।
दूसरा मुद्दा पुलिसकर्मियों को मिलने वाले भत्तों और उनके भुगतान में हो रही देरी से संबंधित था। विधायक शत्रुघ्न महतो ने सदन में पूछा कि पुलिस बल को मिलने वाला राशन भत्ता, वर्दी भत्ता और यात्रा भत्ता अभी भी समुचित रूप से और समय पर उपलब्ध क्यों नहीं हो पा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में बढ़ाए गए भत्ते लागू हो चुके हैं, जबकि झारखंड के पुलिसकर्मी अभी भी पुरानी दरों और अनियमित भुगतान की समस्या से जूझ रहे हैं। राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाले पुलिसकर्मियों के साथ ऐसी असमानता न केवल अन्याय है, बल्कि सुरक्षा व्यवस्था पर भी प्रभाव डालती है। इन दोनों विषयों पर अपनी बात रखते हुए विधायक शत्रुघ्न महतो ने कहा कि महिलाओं का आरक्षण, पुलिसकर्मियों के अधिकार और प्रशासनिक सुधार जैसे मुद्दे केवल नीतिगत सवाल नहीं हैं, बल्कि झारखंड के भविष्य को दिशा देने वाले आधारभूत स्तंभ हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपनी प्राथमिकताओं में विफल दिखाई देती है और जनता से किए वादों को पूरा नहीं कर पा रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट कहा कि जब तक इन विषयों पर न्यायसंगत और ठोस निर्णय नहीं लिया जाता, वे सदन में जनहित की आवाज़ को मजबूती से उठाते रहेंगे।

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