डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती पर हुसैनाबाद में श्रद्धासुमन अर्पित

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डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती पर हुसैनाबाद में श्रद्धासुमन अर्पित

 

 उनके आदर्शों पर चलने का लिया संकल्प

डीजे न्यूज, पलामू : स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति, संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष और सादगी–सौम्यता के प्रतीक देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की 141वीं जयंती पर बुधवार को रा० म० वि० हुसैनाबाद (पलामू) में उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम में उपस्थित वक्ताओं ने उनके प्रेरणादायी व्यक्तित्व, संघर्षमय जीवन और राष्ट्रनिर्माण में अतुलनीय योगदान पर प्रकाश डालते हुए बच्चों को उनके सिद्धांतों को अपनाने की अपील की।

रा० म० वि० हुसैनाबाद पलामू के प्रांगण में बुधवार को स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की 141वीं जयंती गरिमामय माहौल में मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर की गई।

वक्ताओं ने बताया कि डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म बिहार के छपरा, संप्रति सीवान जिले के जीरादेई गाँव में हुआ था। बचपन से ही वे कुशाग्र बुद्धि के धनी थे और विद्यार्थी जीवन में सदैव प्रथम स्थान प्राप्त करते थे। उनकी उत्तरपुस्तिका पर परीक्षक द्वारा लिखा गया टिप्पणी — “Examinee is better than examiner” — उनकी अद्भुत प्रतिभा को दर्शाती है। आजादी की लड़ाई में उन्होंने बढ़–चढ़कर हिस्सा लिया। वे नरम दल के महत्वपूर्ण नेता रहे और आजादी के पहले कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष भी बने। संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष के रूप में भारत के संविधान निर्माण कार्य को अत्यंत कुशलता से आगे बढ़ाया। वक्ताओं ने बताया कि डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सादा जीवन, उच्च विचार के पक्षधर थे। पहनावे पर कभी विशेष ध्यान नहीं देते थे। एक बार भूलवश दो अलग रंग के मोजे पहनकर कार्यालय पहुंच गए थे।

इतना ही नहीं, छठ पर्व संपन्न होने के बाद वे सूप लेकर अपने निवास स्थान आ गए थे, जिससे लोग आश्चर्यचकित रह गए, किंतु भारतीय संस्कृति के पोषक डॉ. प्रसाद ने अपने सिद्धांतों में कोई परिवर्तन नहीं किया। उनकी दृढ़ता और राष्ट्र के प्रति समर्पण का उदाहरण देते हुए वक्ताओं ने कहा कि जिस प्रकार लौहपुरुष सरदार पटेल पत्नी के निधन की खबर सुनकर भी कोर्ट में बहस पूरी की थी, उसी प्रकार डॉ. राजेंद्र प्रसाद अपनी बड़ी बहन के निधन के बीच भी कर्तव्यपालन करते हुए गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुए। वे 26 जनवरी 1950 से 14 मई 1962 तक लगातार राष्ट्रपति पद पर रहे। वक्ताओं में एच. एम. कन्हैया प्रसाद, राजेश कुमार गुप्ता, मुहम्मद जुबैर अंसारी, राजेश सिंहा, सुषमा पांडेय, आशा कुमारी, पूनम कुमारी और रश्मि प्रकाश शामिल थे। बाल संसद के मंत्री गण ने भी पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। प्रार्थना सभा के दौरान बच्चों से डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के जीवन से जुड़े दस–दस प्रश्न पूछे गए, जिनमें वर्ग आठ के अमित कुमार, प्रियांशु कुमार, खुशी कुमारी, शिफा आफरीन तथा वर्ग छह के आकाश कुमार ने सही उत्तर दिए। सभी विजेता छात्रों को सम्मानित कर उत्साहवर्धन किया गया। वक्ताओं ने कहा कि डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के बताये मार्गों पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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