



माता-पिता और बुजुर्गों को बोझ न मानकर सम्मान और सुरक्षा देना न केवल नैतिक कर्तव्य है बल्कि कानून द्वारा भी संरक्षित है: न्यायाधीश

झालसा के निर्देश पर जिला न्यायाधीश पहुंचे वृद्धाश्रम
डीजे न्यूज, धनबाद: उम्र के आखिरी पड़ाव में बेटा-बेटी एवं परिजनों के द्वारा बेघर किए गए बुजुर्गों का हाल जानने एवं उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार तिवारी शनिवार को सहयोगी नगर सेक्टर तीन स्थित लालमणि वृद्धा सेवाआश्रम पहुंचे। झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देश पर उनके साथ
अवर न्यायाधीश मयंक तुषार टोपनो, रजिस्ट्रार सिविल कोर्ट आई जेड खान, लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम की टीम भी थी।
न्यायाधीश ने वृद्धजनों के बीच कंबल , भोजन का वितरण किया । इस मौके पर न्यायाधीश तिवारी ने कहा कि वृद्धजनों की जरूरतों को पूरा करने और उनकी भावनात्मक जरूरतों के प्रति संवेदनशील सामाजिक वातावरण बनाए जाने की आवश्यकता है। माता-पिता और बुजुर्गों को बोझ न मानकर सम्मान और सुरक्षा देना, न केवल हमारा नैतिक कर्तव्य है बल्कि कानून द्वारा भी संरक्षित है। उन्होंने कहा कि वृद्धजन समाज की धरोहर हैं, और उनका सम्मान तथा देखभाल करना हम सबकी जिम्मेदारी है। माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007 इसी उद्देश्य से बनाया गया है।

अवर न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार मयंक तुषार टोपनो ने कहा कि वृद्धजन बोझ नहीं, हमारे अनुभव का खजाना हैं। उन्होंने विधि स्वयंसेवकों को कहा कि हम यह सुनिश्चित करें कि कोई भी अनपढ़ या असहाय बुजुर्ग अपने अधिकारों से वंचित न रहे, और उन्हें समय पर न्याय तथा आर्थिक सहायता मिल सके।
इस मौके पर डीएसडब्ल्यू स्नेह कश्यप , एलएडीसीएस के चीफ कुमार विमलेन्दु, डिप्टी चीफ अजय कुमार भट्ट, असिस्टेंट कन्हैयालाल ठाकुर, पैरालीगल वॉलंटियर चंदन कुमार, हेमराज चौहान, संध्या देवी, डालसा सहायक सौरभ सरकार ,अरुण कुमार, वृद्धाश्रम के अध्यक्ष नौशाद गद्दी, सहसचिव सुरेंद्र कुमार यादव, सुधीर बर्नवाल, ओमकार मिश्रा ,मानस रंजन पाल, सरायढेला थाना प्रभारी व दर्जनों लोग उपस्थित थे।




