



मन, वचन और कर्म से शुद्धता बनाए रखना भी सच्ची भक्ति है

डीजे न्यूज, तेतुलमारी(धनबाद): पांडेडीह के चंदौर बस्ती स्थित महादेव मंदिर परिसर में चल रहे श्रीमद भागवत कथा में कथावाचक सुरेंद्र हरीदास ने कहा कि सर्वेश्वरी श्री राधा रानी के गुणों का वर्णन कोई नहीं कर सकता, क्योंकि वे स्वयं प्रेम और करुणा की मूर्ति हैं। उनके चरणों की महिमा इतनी अनंत है कि उसे शब्दों में बांधना असंभव है। जो व्यक्ति भगवान के उत्सवों में सम्मिलित होता है, उनका नाम सच्चे मन से जपता है और भक्ति के भाव से भगवान की आराधना करता है, भगवान स्वयं उसके अनेकों जन्मों के पापों का नाश कर देते हैं।
अपने शहर और मंदिर को स्वच्छ रखना हमारा कर्तव्य है। जिस प्रकार विदेशों में लोग स्वच्छता का विशेष ध्यान रखते हैं और वहाँ के मंदिर व गलियाँ साफ-सुथरी रहती हैं, उसी प्रकार हमें भी अपने देश, अपने नगर और अपने मंदिरों को स्वच्छ रखना चाहिए। स्वच्छता केवल बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक भी होनी चाहिए — मन, वचन और कर्म से भी शुद्धता बनाए रखना ही सच्ची भक्ति है।
पुतना प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान ने पुतना को मारा नहीं। उन्होंने उसका उद्धार किया। जिसने भगवान को विष पिलाने का प्रयास किया, भगवान ने उसे मुक्ति का वरदान दे दिया। यही भगवान श्रीकृष्ण की करुणा और दया का प्रमाण है।
कथा में उपस्थित भक्तों ने गिरिराज भगवान की परिक्रमा की। गिरिराज भगवान की परिक्रमा के समय भक्तों का उत्साह अद्भुत था। भक्ति की ऐसी लहर उठी कि भक्त महाराज श्री के भजनों पर झूमते, नाचते और भाव-विभोर दिखाई दिए।
कथावाचक ने कहा कि जब हम अपने जीवन में किसी भी प्रकार के संकट या कठिन परिस्थिति में फँस जाते हैं, तब हमें सबसे पहले अपने बुजुर्गों की सलाह और मार्गदर्शन अवश्य लेना चाहिए। हमारे माता-पिता, दादा-दादी या अन्य बड़े-बुजुर्गों ने जीवन में अनेक अनुभव प्राप्त किए होते हैं, जिनसे वे सही और गलत का भेद भलीभांति जानते हैं।
आजकल के बच्चे ही नहीं, बल्कि बुज़ुर्ग भी देर तक सोने की आदत में पड़ गए हैं। लेकिन जो व्यक्ति सूर्योदय के बाद तक सोता रहता है, वह अपने जीवन की ऊर्जा और भाग्य दोनों को मंद कर देता है। सूर्योदय के समय उठकर प्रभु का स्मरण करना, सूर्यदेव को प्रणाम करना और दिन की शुरुआत भक्ति से करना यही एक ऐसा साधन है जो जीवन को सार्थक बनाता है और हमारे भाग्य को उदय करता है।
कथा को सफल बनाने में आशीष वर्मा, आशा वर्मा, मंजू देवी, दयावती देवी,अवधेश वर्मा, रेखा देवी, सुजीत वर्मा, विजय वर्मा, धनंजय सिंह, मुकुंद स्वर्णकार, बिंदेश्वर सोनार, सरोज देवी, खुशी कुमारी, श्रवण वर्मा, विरजु बाउरी, देवेन्द्र नाथ वर्मा, उर्मिला सिंह आदि सक्रिय हैं।
