ये आंसू मेरे दिल की जुबान है… 

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ये आंसू मेरे दिल की जुबान है… 

डीजे न्यूज, गिरिडीह : मोहम्मद रफी साहब की एक सुपर हिट गीत है, ये आंसू मेरे दिल की जुबान है, मैं रोऊं तो रो दे आंसू, मैं हंसू तो हंस दे आंसू। यह गीत लोगों के दिलों पर इस तरह राज किया कि आज भी लोग उसे भूल नहीं सके हैं। ठीक उसी तरह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी गांडेय की विधायक व झामुमो की स्टार लीडर कल्पना मुर्मू सोरेन अपनी आंसुओं से लोगों के दिलों में इस तरह जगह बना लेती हैं कि समर्थक जोश से भर जाते हैं और कल्पना तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं का नारा लगाने लगते हैं। कल्पना की यह आंसू जहां झामुमो और आइएनडीआइए को ताकत दे रहा है, वहीं भाजपा को डर सता रहा है कि कल्पना की यह आंसू उसकी वापसी में बड़ी बाधा बन सकती है।

आइये, हम आपको विस्तार से बताते हैं : 

चार मार्च को गिरिडीह के झंडा मैदान में झामुमो का स्थापना दिवस मनाया जा रहा था। आज से 51 साल पहले इसी मैदान में गिरिडीह जिले में शिबू सोरेन और बिनोद बिहारी महतो ने झामुमो का संगठन खड़ा किया था। इस कारण, हर साल चार मार्च को यहां झामुमो का स्थापना दिवस मनाया जाता है।

जिलेभर से हजारों समर्थक परंपरागत हथियारों से लैस होकर और गाजे-बाजे के साथ जुटे थे। पूरा झंडा मैदान समर्थकों से भर गया था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी पत्नी व विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन के साथ सभा को संबोधित करने पहुंचे थे। नगर विकास मंत्री व गिरिडीह के विधायक सुदिव्य कुमार सोनू के नेतृत्व में यह आयोजन हो रहा था। समर्थक जोश से लबालब थे। जैसे ही कल्पना सोरेन संबोधित करने उठीं समर्थक जोश में नारेबाजी करने लगे। कल्पना ने अपनी अांसुओं से लोगों को भावुक कर दिया। लोग सीधे उनसे कनेक्ट हो गए। कल्पना ने कहा कि यह वही झंडा मैदान है जहां आज के दिन पिछले साल आपने मुझे रोते हुए देखा था। स्थापना दिवस समारोह में सभी लोग थे, नहीं थे तो सिर्फ आपके नेता हेमंत सोरेन। पिछले साल आपके नेता हेमंत सोरेन को साजिश पूर्वक जेल भेज दिया गया था। संकट की इस घड़ी में गांडेय और गिरिडीह की जनता उनके साथ खड़ी रही। इतना कहते ही वह भावुक होकर रो पड़ीं। समर्थकों ने उनके जयकारे लगाने शुरू कर दिए। कल्पना तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं के नारे से पूरा मैदान गूंज उठा। मंच संचालन कर रहे नेता ने कहा कि मैडम आपका मंच पर आना ही हमें भावुक कर देता है। संकट की घड़ी में आपने झामुमो परिवार को बिखरने से बचाया था। समर्थकों को वह दृश्य भी याद आ गया कि कैसे पिछले साल बिना हेमंत सोरेन के झामुमो स्थापना दिवस मनाने पर कल्पना मंच पर अपने संबोधन के दौरान रो पड़ी थीं।

एक साल पहले उस वक्त गिरिडीह के इसी झंडा मैदान से कल्पना सोरेन की राजनीति में एंट्री हुई थी। इस एक साल में कल्पना झारखंड की राजनीति में छा गईं। कल्पना सोरेन के लिए अपनी गांडेय विधानसभा सीट छोड़ने वाले राज्यसभा सदस्य डॉ. सरफराज अहमद ने कहा कि कल्पना संघर्ष की उपज है। झामुमो में पहले एक नेता हेमंत सोरेन थे, अब हमारे दो नेता हेमंत और कल्पना हैं। इस सफल सभा के मुख्य आयोजक नगर विकास मंत्री व गिरिडीह के विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने सभा में यह भी दिखा दिया कि भले ही वह आज मंत्री हैं, लेकिन अपनी पार्टी के लिए वह आज भी कार्यकर्ता हैं।

सभा में जब बोलने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उठे तो उनकी माइक थोड़ी ऊंची थी। हेमंत को असहज देख मंत्री सुदिव्य सोनू उठे और खुद उनकी माइक की ऊंचाई कम कर सेट की। एक मंत्री को कार्यकर्ता की तरह काम करते देख समर्थक उत्साह से भर गए। यहां हम आपको बता दें कि सुदिव्य सोनू ने गिरिडीह में एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में अपना राजनीतिक कैरियर शुरू किया था। बहरहाल, गिरिडीह में स्थापना दिवस झामुमो को नई शक्ति दे गया है। सुदिव्य सोनू के नेतृत्व में झामुमो यहां लगातार अपना जनाधार बढ़ा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा शहरी क्षेत्रों में भी झामुमो के प्रति लोगों का रूझान बढ़ा है।

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