


गजलीटांड़ खान हादसा:
भौगोलिक-सामाजिक स्थितियां बदली नहीं बदला खान हादसे के कारणों के खुलासे का इंतजार,
25 सितंबर की रात खदान में पानी घुस जाने से 64 कोल खनिकों ने ली थी जलसमाधि
सर्वधर्म प्रार्थना व श्रद्धांजलि सभा 26 को

तरुण कांति घोष, कतरास(धनबाद): धनबाद जिला अंर्तगत भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) के गजलीटांड़ खान हादसे के 29 वर्ष बीत ग ए। इस अवधि में खदान के आसपास की भौगोलिक, सामाजिक व आर्थिक स्थितियां बदल ग ई। भूमिगत खदान से लेकर आउटसोर्सिंग के माध्यम से चले खुली खदान तक के सफर में गजलीटांड़ में कुछ नहीं बदला तो वह है खान हादसे के कारणों के खुलासे का इंतजार। शहीद हुए कोल खनिकों के शव के अवशेष भी भूमिगत खदान के अंदर से बाहर नहीं निकाला जा सका। साथ ही हादसे के बाद गठित मुखर्जी कमेटी की जांच का भी आज तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला।
25 सितंबर 1995 की वह काली रात
कोल इंडिया और भारत में खनन के इतिहास में 26 सितंबर 1995 का सवेरा एक काला अध्याय लेकर आया। 25 सिंतबर 1995 की रात को कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई बीसीसीएल की गजलीटांड़ कोलियरी के छह नंबर भूमिगत खदान के 10 नंबर सीम में पानी भर गया था। इस हादसे में 64 कोल खनिकों ने जलसमाधि ले ली थी।
29 वर्ष हो गया पूरा
26 सितंबर 2025 को गजलीटांड़ हादसा के 29 वर्ष वर्ष पूरे हो ग ए। इतने साल बीत जाने के बाद भी हादसे से जुड़े कई पहलु आज भी अनसुलझे हैैं। 25 सितंबर 1995 की काली रात गजलीटांड़ कोलियरी सहित बीसीसीएल के अन्य भूमिगत खदानों के लिए भी प्रलयंकारी रात बनकर आई थी। गजलीटांड़ सहित कंपनी के अन्य जगहों के 79 कोल खनिक काल कवलित हुए थे। सिर्फ गजलीटांड़ कोलियरी के छह नंबर भूमिगत खदान के 10 नंबर सिम में 64 खनिक काल के गाल में समा ग ए थे। गजलीटांड के अलावा चैतुडीह खदान में चार, साउथ गोविदपुर में तीन, बेरा कोलियरी में तीन, निचितपुर कोलियरी में दो, केशलपुर कोलियरी में एक कर्मी ने जलसमाधि ली थी।
तटबंध टूटने से हुई घटना
कतरी नदी का तटबंध टूट जाने से छह नंबर भूमिगत खदान में काम कर रहे 64 खनिकों ने जलसमाधि ले ली थी। उस दिन 331 मिलीमीटर बारिश दर्ज किया गया था। कतरी नदी में पानी पूरे उफान पर था। अचानक तटबंध टूट गया और नदी का पूरा पानी गजलीटांड़ कोलियरी के भूमिगत खदान में घुस गया। खदान के अंदर काम कर रहे खनिकों को बाहर निकालने का मौका भी नहीं मिला और सभी शहीद हो ग ए।
बिहार से दिल्ली तक घटना की गूंज
धनबाद जिले में हुई इतनी बड़ी घटना की गूंज बिहार से दिल्ली तक पहुंची। घटना के बाद तत्कालीन कोयला मंत्री जगदीश टाइटलर, एकीकृत बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव जैसे राजनीतिक हस्तियों के अलावा बीसीसीएल के तत्कालीन सीएमडी जीसी मृग सहित क ई जनप्रतिनिधि गजलीटांड़ पहुंचे थे। 26 सितंबर की सुबह गजलीटांड़ में हाहाकार मच गया था। जलसमाधि लेने वाले कर्मियों के परिजनों की करुण क्रंदन से पूरा इलाका दहल उठा था। बीसीसीएल की लापरवाही पर आमजनों के साथ साथ श्रमिक संगठनों में उबाल था। घटना के बाद जलसमाधि लिए कर्मियों के आश्रितों को तत्काल नियोजन, कंपनी की वित्तीय सहायता, केंद्र व राज्य सरकार की ओर से सहायता, आपदा राहत कोष से आर्थिक मदद की ग ई थी।
नहीं निकला मुखर्जी कमेटी की जांच का निष्कर्ष
घटना के बाद इसकी जांच के लिए जस्टिस एस मुखर्जी की अध्यक्षता में मुखर्जी कमीशन/कोर्ट आफ इंक्वाइरी का गठन किया गया था। कमेटी में एसेसर (जस्टिस को सलाह देने वाला व्यक्ति) इंटक के तत्कालीन महामंत्री स्व. राजेंद्र प्रसाद सिंह तथा भारतीय खनिज विद्यापीठ के प्रोफेसर एस मजूमदार बनाए ग ए थे। लंबे समय तक जांच हुई, कार्रवाई चली, लेकिन नतीजा आजतक सामने नहीं आया। हर साल श्रद्धांजलि देने की परंपरा दोहराई जाती है। लेकिन इस खान हादसे का दोषी कौन था, इस पर से पर्दा नहीं उठ सका है। घटना का रहस्य इतिहास के पन्नों में दबकर रह गया है।
सर्वधर्म प्रार्थना सभा व फुटबॉल प्रतियोगिता
शहीद खनिकों की याद में गजलीटांड़ स्थित शहीद स्तंभ पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता है। शहीदों की स्मृति में फुटबॉल प्रतियोगिता होती है। गजलीटांड़ में 26 सितंबर की सुबह से कुरान व गीता पाठ की गूंज सुनाई देती है। शहीद के परिजनों के अलावा बीसीसीएल के उच्चाधिकारी, विभिन्न राजनीतिक दल के नेता, श्रमिक संगठन, सामाजिक संगठन से जुड़े लोग गजलीटांड आकर शहीद स्तंभ पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं।
