धनबाद पहुंचे संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज, राष्ट्र व्यापी स्वर्वेद संदेश यात्रा में निकले हैं महाराज, सच्चा आनंद बाहर नहीं आत्मा के भीतर है: विज्ञानदेव जी महाराज

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धनबाद पहुंचे संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज, राष्ट्र व्यापी स्वर्वेद संदेश यात्रा में निकले हैं महाराज,
सच्चा आनंद बाहर नहीं आत्मा के भीतर है: विज्ञानदेव जी महाराज

डीजे न्यूज, धनबाद:
समर्पण दीप अध्यात्म महोत्सव” और विहंगम योग संत समाज का 102 वां वार्षिकोत्सव एवं 25000 कुंडीय “स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ” को लेकर संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज के मार्गदर्शन में काश्मीर से कन्याकुमारी तक निकला ‘स्वर्वेद संदेश यात्रा’ बुधवार को धनबाद पहुंचा। स्वर्वेद संदेश यात्रा के माध्यम से सदगुरू उत्ताराधिकारी संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज पूरे देश में आत्म जागरण से राष्ट्र जागरण का संदेश जन जन को दे रहे हैं।
धनबाद टाऊन हॉल हजारों विहंगम योग के अनुयायियों को अध्यात्म एवं आंतरिक शुचिता पर संदेश देते हुए सुपूज्य संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज ने कहा कि सच्चा आनंद बाहर नहीं, बल्कि आत्मा के भीतर है। ध्यान और सेवा से मन को नियंत्रित करने वाला न केवल आत्म कल्याण करता है, बल्कि समाज को दिशा और राष्ट्र को शक्ति भी प्रदान करता है। महाराज जी ने कहा कि सत्संगति हमारे जीवन को निखारती है। शरीर की पुष्टि और इन्द्रियों की तृप्ति मानव जीवन का उद्देश्य नहीं हो सकता। शरीर का ध्यान रखना है, जितना आवश्यक है। शरीर को सबकुछ समझ कर आत्मकल्याण के मार्ग से दूर हो जाना ये श्रेष्ठ जीवन नहीं है। संत प्रवर जी ने बताया कि आज मन पर नियंत्रण न होने से समाज में विसंगतियाँ बढ़ रहीं हैं। अतः मन पर नियंत्रण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमारे मन में असीम शक्ति है। ईश्वर ने हमें बड़ी शक्तियों वाला अन्तःकरण दिया है। मानव के मन में अशांति है और जब तक यह अशांति है, तब तक विश्व में शांति की कल्पना नहीं की जा सकती। मन की अशांति को विहंगम योग की ध्यान साधना के द्वारा दूर किया जा सकता है।


उन्होंने कहा कि ज्ञान से ही मुक्ति-भक्ति एवं सुख-शान्ति की प्राप्ति होती है। ज्ञान से ही जीवन का सुधार हो कर उज्जवल कान्ति प्राप्त होती है और जीवन अच्छे चरित्र से सुशोभित होता है। सद्गुरु ज्ञानस्वरूप हैं, जिनके अन्दर ईश्वरीय ज्ञानधारा प्रकट होती है, उन्हीं के द्वारा शुद्ध, पवित्र एवं निर्भ्रान्त ज्ञान प्राप्त होता है। सद्गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती।
संत प्रवर ने 25 एवं 26 नवंबर को वाराणसी स्थित स्वर्वेद महामंदिर धाम में आयोजित 25000 कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ और समर्पण दीप अध्यात्म महोत्सव के लिए संकल्प लेकर अपने समर्पण, सेवा और श्रद्धा से इसे सफल बनाने तथा धर्म, ज्ञान और मानव कल्याण के मार्ग पर निरंतर अग्रसर रहने का आह्वान किया। इस दौरान हॉल का वातावरण श्रद्धा, भक्ति, ध्यानमग्न, शांति से ओतप्रोत था।
इससे पूर्व संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज दोपहर में देवघर से कला भवन, धनबाद के समीप जैसे ही पहुंचे, विहंगम योग के अनुयायियों ने उनका भव्य स्वागत किया। इसके बाद कला भवन के समीप से आकर्षक एवं भव्य शोभायात्रा निकाला गया, जो टाऊन हॉल तक पहुंचा। टाऊन हॉल में सुपूज्य विज्ञानदेव जी महाराज जी ने “अ” अंकित ध्वजारोहण किया और अनंत श्री सदगुरू सदाफलदेव जी महाराज, सदगुरू धर्मचंद जी महाराज एवं सदगुरू स्वतंत्रदेव जी महाराज के तस्वीर पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुभारंभ किया।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से जीपी सिंह, रत्नेश कुमार सिंह, रवीन्द्र अम्बष्ट, आशुतोष शेखर, डब्ल्यू सिंह, शेष नारायण सिंह, आरडी शर्मा, संजीव सिंह, दयाकांत, रवीन्द्र साहनी, श्रीनाथ यादव, किशोरी गुप्ता, बिजेन्द्र सिंह, अरूण पाण्डेय, गुलाब सिंह, एमपी सिंह, मुन्ना बर्णवाल, भरत सिंह, रवीन्द्र सिंह, ओपी सिंघम, डॉ. रंजीत सिंह, अशोक महतो, सुरेन गोप, अंजू सिंह, रामलाल महतो, माणिक भंडारी, लालदेव महतो, सुखेन चटर्जी, अशोक वर्मा, कैलाश पाण्डेय, किरण सिंह, निधि सिंह, रानी शर्मा, मुन्नी पाण्डेय, उपासी ठाकुर, सती केसरी, शंकुतला देवी, चम्पा देवी आदि उपस्थित थे।

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