वासंतिक नवरात्र : 75 वर्षों से भंवरडीह में हो रही है आदि शक्ति की उपासना
कार्यालय संवाददाता, गिरिडीह : बेंगाबाद प्रखंड अंतर्गत भंवरडीह दुर्गा मंदिर में कलश स्थापना के साथ वासंती नवरात्र शुरू हो गया। रविवार को पंडित वीरेंद्र उपाध्याय के द्वारा नव दुर्गा के द्वितीय रूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा आराधना विधि विधान के साथ की गई। यहां परम वैष्णवी रूप से शक्ति की अधिष्ठात्री मां जगदंबा की पूजा-अर्चना की जाती है। कलश स्थापना के दिन से ही भगवती के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। भंवरडीह में लगभग 75 वर्षों से वासंती नवरात्र पूजन होते हुए आ रही हैं। दुर्गा मंदिर की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई हैं। अष्टमी, नवमी और दशमी को मंदिर में भारी संख्या में भक्तों का जुटान देखने को मिलता है। बताया जाता है कि संतान उत्पत्ति की कामना को लेकर वर्षों पहले स्वर्गीय हुबलाल पांडेय ने भक्ति भाव के साथ भगवती की स्थापना की थी। मन्नत पूरा होने के बाद दुर्गा मंदिर आस्था और भक्ति का केंद्र बन गया। वासंती नवरात्र की परंपरा आज भी उनके वंशजों द्वारा कायम रखा गया है। यहां पूरी निष्ठा और दृढ़ विश्वास के साथ भगवती दुर्गा की आराधना की जाती है। खासकर महाअष्टमी को दूरदराज से श्रद्धालु वंश उत्पत्ति समेत अन्य मन्नत मांगने के लिए पहुंचते है। सप्तमी के दिन शंख, ढोल, बाजे के साथ अलौकिक ढंग से बेल भरनी की पूजा अर्चना की जाती है। इसी दिन शाम को मां की प्रतिमा को पिंडी पर स्थापित कर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। यहां झारखंड के कई जिलों के अलावे बिहार से भी श्रद्धालु पूजन अर्चन व मन्नत मांगने के लिए पहुंचते हैं। पंडित वीरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि सनातन धर्म में शक्ति पूजन का विशेष महत्त्व है। शक्ति अर्थात देवी की पूजा आराधना से लोगों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि हमेशा बनी हुई रहती है। पूजा को सफल बनाने में महेश पांडेय, महेंद्र पांडेय, दिगंबर पांडेय, उपेंद्र पांडेय, प्रदीप पांडेय, राजेंद्र पांडेय, अनिल पांडेय, सुरेंद्र पांडेय, उमाकांत पांडेय, पंकज पांडेय, हेमंत पांडेय, दिलीप पांडेय, सोनू पांडेय समेत पुरे गांव के लोगों की अहम भूमिका होती हैं।