जामताड़ा में विश्व आदिवासी दिवस : सांस्कृतिक कार्यक्रम और जनसंपर्क को लेकर बनी रणनीति

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जामताड़ा में विश्व आदिवासी दिवस : सांस्कृतिक कार्यक्रम और जनसंपर्क को लेकर बनी रणनीति

डीजे न्यूज, जामताड़ा : विश्व आदिवासी दिवस (9 अगस्त) को लेकर जामताड़ा जिले में व्यापक तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं। इसी क्रम में सोमवार को मुख्यमंत्री उत्कृष्ट बालिका उच्च विद्यालय, जामताड़ा के सभागार में आयोजन को लेकर एक अहम समीक्षा बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त सेवानिवृत्त शिक्षक सुनील कुमार बास्की ने की।

बैठक में आयोजन समिति के सभी पदाधिकारी, सांस्कृतिक संयोजक, विभागीय प्रभारी एवं समाजसेवी उपस्थित रहे। इस दौरान कार्यक्रम की रूपरेखा, तैयारियों की समीक्षा तथा कार्यों को अंतिम रूप देने को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों में दिखेगा आदिवासी गौरव

बैठक में बताया गया कि कार्यक्रम के दौरान जिलेभर से चयनित सांस्कृतिक कलाकारों द्वारा आदिवासी परंपरा, संस्कृति और इतिहास पर आधारित गीत, नृत्य एवं प्रस्तुतियाँ दी जाएंगी। प्रतिभागियों के आवास, भोजन, परिवहन जैसी व्यवस्थाओं के लिए समुचित तंत्र तैयार किया गया है ताकि उन्हें कोई असुविधा न हो।

बैठक में विशेष रूप से प्रचार-प्रसार अभियान को तेज करने पर बल दिया गया। तय हुआ कि हैंडबिल, पोस्टर और आमंत्रण पत्रों का वितरण गांव-गांव तक किया जाएगा, जिससे अधिक से अधिक लोग इस आयोजन से जुड़ सकें।

समीक्षा बैठक में मंच निर्माण, ध्वनि और प्रकाश व्यवस्था, चिकित्सा सुविधा, सुरक्षा व्यवस्था सहित अन्य तैयारियों पर विस्तृत चर्चा की गई। सभी विभागीय प्रभारियों से अब तक की गई तैयारियों का विवरण लिया गया और उन्हें निर्धारित समयसीमा के भीतर कार्य पूरा करने का निर्देश दिया गया।

इस अवसर पर समिति के संरक्षक सुनील कुमार हांसदा और आनंद टुडू, सचिव बैधनाथ सोरेन, देवेन्द्र मरांडी, विलियम हांसदा, नाज़िर सोरेन, सुबोधन हांसदा, सर्जन हांसदा समेत कई सक्रिय सदस्य उपस्थित रहे। सभी ने मिलकर कार्यक्रम को ऐतिहासिक और भव्य स्वरूप देने का संकल्प लिया।

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि यह आदिवासी अस्मिता, गौरव और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। इसलिए इसके आयोजन में हर समुदाय और वर्ग की भागीदारी जरूरी है। आयोजन समिति ने लोगों से आह्वान किया कि वे बड़ी संख्या में आयोजन में शामिल होकर आदिवासी संस्कृति और धरोहर को सम्मान दें।

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