सामुदायिक जागरूकता से ही कृमि का उन्मूलन संभव : सिविल सर्जन

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डीजे न्यूज,  गिरिडीह : 20 अप्रैल को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस व 25 अप्रैल को मॉपअप दिवस पूरे जिले में आयोजित की जानी है। इस संबंध में आज सिविल सर्जन डॉ एसपी मिश्रा ने मीडिया ब्रीफिंग के माध्यम से राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस व मॉपअप दिवस के संबंध में जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि कृमि संक्रमण को नियंत्रित करने हेतु स्कूल एवं आंगनबाड़ी में अल्बेंडाजोल की गोली 1 वर्ष से 19 वर्ष के बच्चों को खिलाया जाएगा। इसके सफल क्रियान्वयन को लेकर सभी संबंधित अधिकारियों व स्वास्थ्य कर्मियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है।

सामुदायिक जागरूकता में सहिया की अहम भूमिका

समुदाय को कृमि नियंत्रण के लाभ एंव राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस 20 अप्रैल के बारे में बताएं और सभी को प्रोत्साहित करें कि बच्चों को इस दिन स्कूल/आंगनवाड़ी केन्द्र अवश्य भेजें।

जो बच्चे राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर किसी भी कारण से छूट जाएं। उन्हें यह दवाई मॉप-अप दिवस 25 अप्रैल, 2023 को खिलवाने के लिए प्रेरित करें।

कार्यक्रम से पूर्व अपने क्षेत्र में ग्रह भ्रमण करते समय सभी गैर पंजीकृत और स्कूल ना जाने वाले बच्चों की सूची तैयार आंगनवाडी कार्यकर्ता को दें।

सभी गैर पंजीकृत और स्कूल ना जाने वाले बच्चों को आंगनवाड़ी के माध्यम से इस कार्यक्रम का लाभ दिलाने में सहयोग करें।

ग्राम पंचायत एवं बी.एच.एस.एन.सी. मीटिंग द्वारा समुदाय के लोगों को कृमि नियंत्रण के लाभ एंव कार्यक्रम तिथि के बारे में जागरूक करें।

समुदाय को सूचित करें कि कृमि नियंत्रण कार्यक्रम सम्बंधित मीडिया संदेश रेडियो, अखबार व टी.वी. आदि द्वारा प्रचारित किया जाएगा, उन्हें ध्यान से सुनें / देखें।

कृमि नियंत्रण के लाभ और उससे जुड़ी संपूर्ण जानकारी आंगनवाड़ी केन्द्र पर आए बच्चों और उनके माता-पिता / अभिभावकों को अवश्य बताएं। उन्हें बताएं की यह दवाई सभी बच्चों को खिलवाना आवश्यक है।

कोविड- 19 अनुरूप व्यवहारों का पालन करें।

सहिया के लिए जानकारी पत्र

कोविड 19 महामारी से बचाव हेतु निर्गत सभी दिशा निर्देशों व आवश्यक सुरक्षा उपायों का ध्यान रखते हुए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर अपने बच्चों को नजदीकी आंगनवाडी केन्द्रों और स्कूलों में अवश्य लायें और कृमि नियंत्रण की दवाई निःशुल्क खिलवाएं।

कृमि कैसे फैलता है:- संक्रमित बच्चे के शौच में कृमि के अंडे होते हैं। खुले में शौच करने से ये अंडे मिट्टी में मिल जाते हैं और विकसित होते हैं।

अन्य बच्चें नंगे पैर चलने से, गंदे हाथों से खाना खाने से या फिर बिना ढका हुआ भोजन खाने से, लार्वा के संपर्क में आने से संक्रमित हो जाते है।

संक्रमित बच्चों में कृमि के अंडे व लारवा रहते हैं और बच्चों के स्वास्थ्य को हानि पहुंचाते है।

बच्चों में कृमि नियंत्रण के फायदे

खून की कमी में सुधार

बेहतर पोषण स्तर

स्कूल और आंगनवाड़ी में उपस्थिति तथा बच्चों में सीखने की क्षमता में सुधार

भविष्य में कार्य क्षमता और औसत आय में बढ़ोतरी।

वातावरण में भूमि की संख्या कम होने पर समुदाय को लाभ मिलता है।

कृमि संक्रमण का बच्चों की सेहत पर असर

कुपोषण, खून की कमी (अनीमिया)

भूख न लगना कमजोरी

पेट में दर्द

उल्टी और दस्त

कमजोरी और बेचैनी

वज़न में कमी आना

कृमि की जितनी अधिक मात्रा (तीव्रता होगी, संक्रमित बच्चों में लक्षण उतने अधिक होंगे।

हल्के संक्रमण वाले बच्चों में आम तौर पर कोई लक्षण दिखाई नहीं देते।

इन व्यवहारों के बारे में समुदाय के लोगों को, माता-पिता और बच्चों को नियमित रूप से जानकारी दें।

एल्डाजॉल बच्चों और बड़ों के लिए सुरक्षित दवाई है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/शिक्षक अपनी निगरानी में ही हर बच्चे को दवाई खिलाएं।

जो बच्चे बीमार है, या कोई अन्य दवाई ले रहे हैं उन्हें कृमि नियंत्रण की दवाई ना खिलाएं।

गले में दवाई अटकने से बचाने के लिए बच्चों को हमेशा दवाई चबाकर खाने की सलाह दें। पीने का पानी साथ रखें। बिना चबा कर खायी गई एल्मेडाजॉल दवाई का प्रभाव महत्वपूर्ण रूप से कम हो सकता है।

जिन बच्चों में कृमि होते हैं उन्हें दवाई खाने पर कुछ मामूली प्रतिकूल लक्षण जैसे जी मिचलाना, पेट में हल्का दर्द, उल्टी, दस्त और थकान महसूस हो सकती है। घबराये नहीं।

किसी भी चिकित्सीय सलाह के लिए 104 नम्बर पर तथा चिकित्सीय सहायता के लिए 108 पर फोन करें। बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए इस कार्यक्रम में उत्साहपूर्वक और निर्देशानुसार भागीदार बनें।

समुदाय को किया जाएगा जागरूक

सिविल सर्जन ने कहा कि समुदाय को जागरूक करने के लिए शिक्षकों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को जिम्मेदारी दी गई है। एक से पांच तक स्कूल नहीं जाने वाले बच्चे को आंगनबाड़ी केंद्रों में दवा दी जाएगी। एक से दो वर्ष तक बच्चे को आधी गोली चूर्ण बनाकर खिलानी है। ऐसे बच्चे जो बीमार हैं या अन्य दवा चल रही है उसको कृमि की दवा नहीं देनी है।

उक्त अवसर पर सिविल सर्जन, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, जिला आरसीएच पदाधिकारी, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, डीपीएम, एनएचएम व प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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