
शिक्षकों पर थोपे जा रहे गैर-शैक्षणिक कार्यों से भड़का अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ
उपायुक्त को ज्ञापन सौंपकर जताई आपत्ति
डीजे न्यूज, जमशेदपुर : अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ, पूर्वी सिंहभूम जिला इकाई ने शिक्षकों पर विद्यालय अवधि के दौरान और उसके उपरांत थोपे जा रहे गैर-शैक्षणिक कार्यों को लेकर गहरी आपत्ति जताई है। इसी संबंध में संघ ने उपायुक्त, पूर्वी सिंहभूम को एक ज्ञापन सौंपते हुए उचित दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की है, ताकि शिक्षकों को हो रही कठिनाइयों का समाधान हो सके। ज्ञापन सौंपने वालों में संघ के जिलाध्यक्ष शिव शंकर पोलाई, महासचिव सरोज कुमार लेंका, सुधांशु शेखर बेरा, संजय कुमार केसरी, बासेत मार्डी, माधिया सोरेन, राजकुमार रोशन, दिलीप कुमार महतो, भुरका बयार बेसरा, सुजीत कुमार कर्ण, सुब्रतो मल्लिक, ओम प्रकाश सिंह आदि शामिल थे।
संघ ने अपने ज्ञापन में बताया कि शिक्षकों को विभागीय आदेशों के तहत URC/BRC से पाठ्यपुस्तक, नोटबुक, स्कूल किट, स्कूल बैग, टीएलएम सामग्री, बच्चों के लिए एनीमिया गोली, नामांकन संबंधी सामग्री, आधार पंजीकरण शिविरों में सहयोग, चावल उठाव, बैंक कार्य, बच्चों को साइकिल वितरण, गुरुगोष्ठी में भागीदारी, प्रशिक्षण कार्यक्रम, बालपंजी संधारण और विभिन्न रिपोर्टों की प्रतिवेदन BRC/URC में जमा करना जैसे कार्य करने पड़ते हैं। इनमें से अधिकांश कार्य विद्यालय अवधि में ही कराए जाते हैं, जिससे पढ़ाई बाधित होती है और शिक्षकों को आर्थिक व मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। संघ ने बताया कि वर्तमान में विद्यालय का संचालन समय सुबह 9 बजे से अपराह्न 3 बजे तक होता है। ऐसे में विद्यालय अवधि के बाद 20-25 किमी दूर स्थित BRC/URC से सामग्री उठाव और फिर उसे विद्यालय तक पहुंचाना व्यावहारिक नहीं है। पूर्व में विद्यालय प्रातःकालीन समय पर चलते थे, जिससे शिक्षकों को दोपहर में इन कार्यों को संपादित करने की सुविधा थी। अब एक साथ सभी कक्षाओं की किताबें भी उपलब्ध नहीं होती, जिससे शिक्षकों को तीन-चार बार URC/BRC जाना पड़ता है और वाहन भाड़े के लिए निर्धारित ₹300 की राशि बहुत ही कम है। अन्य सामग्रियों के लिए तो कोई भाड़ा भी निर्धारित नहीं है, जिससे शिक्षक अपनी जेब से खर्च उठाने को विवश हैं। संघ ने मांग की है कि सभी सामग्री को सीधे विद्यालय तक पहुँचाने की व्यवस्था की जाए। यदि यह संभव न हो तो कम से कम संकुल स्तर पर सामग्री भेजी जाए ताकि शिक्षक उन्हें वहीं से प्राप्त कर सकें।
एमडीएम चावल उठाव की व्यवस्था पर भी सवाल
संघ ने यह भी कहा कि मिड-डे मील (MDM)चावल के लिए विद्यालयों को पिछले कई वर्षों से कोई वाहन भाड़ा या मजदूरी व्यय की राशि नहीं मिली है। विभाग द्वारा पूर्व में विद्यालय तक चावल पहुँचाने के लिए डोर-स्टेप डिलीवरी की योजना बनाई गई थी और टेंडर भी किया गया था, लेकिन कम दरों के कारण एजेंसी ने काम करने से मना कर दिया। परिणामस्वरूप अब शिक्षकों को फिर से खुद ही चावल उठाव करना पड़ रहा है, जो अनुचित है। संघ ने मांग की है कि डोर-स्टेप डिलीवरी के आदेश का अनुपालन कराया जाए।
गुरुगोष्ठी, प्रतिवेदन, और अन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम
संघ ने कहा कि पूर्व में गुरुगोष्ठी का आयोजन विद्यालय अवधि में ही होता था, जबकि अब इसे विद्यालय के बाद आयोजित किया जाता है। JCERT, रांची द्वारा 11 जून 2024 को जारी SOP के अनुसार गुरुगोष्ठी विद्यालय अवधि में 4 बजे तक संपन्न की जानी चाहिए। अन्य जिलों में इसी SOP के अनुरूप गुरुगोष्ठी आयोजित हो रही है, लिहाज़ा पूर्वी सिंहभूम में भी ऐसा ही किया जाए।
इसके अलावा BRC/URC में विभिन्न रिपोर्टों को जमा करने के लिए CRP को विद्यालयों से रिपोर्ट एकत्र कर जमा कराने का सुझाव दिया गया है।
बीएलओ कार्यों से शिक्षकों को मुक्त करने की मांग
संघ ने यह भी मांग की कि शिक्षकों को BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) कार्यों से मुक्त किया जाए। चुनाव आयोग एवं शिक्षा सचिव द्वारा पूर्व में ऐसे निर्देश दिए जा चुके हैं, लेकिन जमशेदपुर में अभी भी पारा शिक्षक और सरकारी शिक्षक BLO के रूप में कार्य कर रहे हैं। BLO कार्यों की वजह से विद्यालय अवधि में शिक्षक विद्यालय से अनुपस्थित रहते हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
अन्य विभागीय कार्यों की सूची और आपत्ति
संघ ने कहा कि नामांकन अभियान, नेत्र जांच शिविर, आधार पंजीकरण, बैंक खाता खुलवाना, पोशाक क्रय, प्रशिक्षण, बालपंजी सर्वेक्षण, साइकिल वितरण जैसे कई कार्य विद्यालय अवधि में कराए जा रहे हैं। यदि शिक्षक विद्यालय अवधि में बाहर नहीं जाएं तो ये कार्य समय पर पूरे नहीं हो सकते। अतः इस स्थिति में उपायुक्त से स्पष्ट दिशानिर्देश और व्यवहारिक समाधान की मांग की गई है।
समाप्ति में शिक्षक संघ की गुहार
संघ के प्रतिनिधियों ने कहा कि यदि उपर्युक्त व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर दी जाएं तो शिक्षकों को विद्यालय अवधि में बाहर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इससे वे पूरी तन्मयता के साथ बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में सक्षम होंगे और शिक्षा का स्तर भी बेहतर होगा।