
वन उत्पाद के सहारे सारंडा के किसान बनेंगे स्वावलंबी: अमिता कुमारी
डीजे न्यूज, बंदगांव, चाईबासा : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर राज्य के किसान अब वनोत्पाद के सहारे स्वावलंबी बनेंगे। उक्त बातें जिला सहकारिता पदाधिकारी अमिता कुमारी ने सारंडा वनोत्पाद सहकारी समिति की बैठक में कहीं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पहली बार वनोत्पाद को बढ़ावा देने के लिए संगठित प्रयास कर रही है। झारखंड की भूमि वन उत्पादों के मामले में समृद्ध है। लाह, तसर, शहद, इमली, चिरौंजी, साल बीज और महुआ जैसे बहुमूल्य वन उत्पाद राज्य के जंगलों में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं।
सिदो-कान्हू कृषि एवं वन उत्पाद संघ की स्थापना
अमिता कुमारी ने कहा कि राज्य गठन के बाद से किसानों को वन उत्पाद का उचित मूल्य दिलाना एक चुनौती रहा है। इस चुनौती को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वीर शहीद सिदो-कान्हू के नाम पर “सिदो-कान्हू कृषि एवं वन उत्पाद संघ” का निर्माण किया है। इस संघ के माध्यम से राज्य के किसानों और वन उत्पाद संग्राहकों को संगठित कर उनकी आजीविका को सशक्त करने की योजना बनाई गई है।
उन्होंने बताया कि किसानों के वन उत्पाद को उचित मूल्य और बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सभी पैक्स/लैम्पस को आधुनिक स्वरूप देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सहकारिता के माध्यम से कृषि और वन उपज में आजीविका संवर्धन के लिए सभी जिला मुख्यालयों में एक दिवसीय कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है।
पलायन रोकने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की पहल
अमिता कुमारी ने कहा कि सारंडा वनोत्पादक सहकारी समिति का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण परिवारों की आय में वृद्धि करना, कृषि को बढ़ावा देना, किसानों को सुविधाएं उपलब्ध कराना, जंगलों की कटाई रोकना और शिक्षा का प्रसार करना है। उन्होंने कहा कि हर वर्ष हजारों की संख्या में लोग रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं, जिसे रोकने के लिए सरकार विशेष प्रयास कर रही है।
सम्मानित किए गए किसान
बैठक में किसानों को सर्टिफिकेट देकर सम्मानित भी किया गया। इस अवसर पर सहकारिता प्रसार पदाधिकारी (चक्रधरपुर) सुरेंद्र कुमार, प्रधान लिपिक विमला कुमारी, जेवियर हमसाय, नयन मुंडरी, जोसेफ मुंडू, दिलीप सिंह हस्सा, लादू हस्सा, निर्मल हपदगड़ा, नमन मुंडरी, अमृत रंजीत बोदरा समेत अन्य समिति सदस्य उपस्थित रहे।