
झारखंड में बाल तस्करों का है मजबूत नेटवर्क
ह्यूमन ट्रैफिकिंग के खिलाफ सुरक्षित प्रवासन को बढ़ावा” विषय पर दक्षिण एशियाई संगोष्ठी में बोले सुरेश शक्ति
डीजे न्यूज, गिरिडीह : झारखंड में बाल व्यापार और मानव तस्करी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। राज्य के विभिन्न जिलों में तस्करों का मजबूत नेटवर्क सक्रिय है, जो स्थानीय दलालों की मदद से बच्चों और युवाओं का शोषण कर रहे हैं। इन दलालों को इससे मोटी कमाई होती है। इसी विषय पर नई दिल्ली में “ह्यूमन ट्रैफिकिंग के खिलाफ सुरक्षित प्रवासन को बढ़ावा” विषय पर दक्षिण एशियाई संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें बनवासी विकास आश्रम, गिरिडीह ने भी भागीदारी निभाई।
इस संगोष्ठी में भारत सहित बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सरकारों, नीति-निर्माताओं, गैर-सरकारी संगठनों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और ट्रैफिकिंग से पीड़ित व्यक्तियों ने इस मुद्दे पर विचार साझा किए और समाधान के लिए रणनीतियाँ पेश कीं।
झारखंड और गिरिडीह में ट्रैफिकिंग की भयावह स्थिति
संगोष्ठी में बनवासी विकास आश्रम के सचिव और बाल अधिकार कार्यकर्ता सुरेश कुमार शक्ति ने बताया कि झारखंड में बाल व्यापार संगठित अपराध का रूप ले चुका है। गिरिडीह जिला भी चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मामलों में अग्रणी है। उन्होंने कहा कि हाल ही में देवरी थाना क्षेत्र में 23 बच्चों को मानव तस्करों के चंगुल से छुड़ाया गया था, जिसमें गुजरात के तस्करों के साथ-साथ स्थानीय दलालों की संलिप्तता भी सामने आई थी।
संगोष्ठी में ट्रैफिकिंग रोकथाम पर हुई चर्चा
“जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन” संगठन, जो बाल अधिकारों और बाल संरक्षण के लिए दुनिया के 39 देशों में कार्यरत है, इस संगोष्ठी में तकनीकी सहयोगी के रूप में शामिल हुआ।
संगठन के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा, “मानव तस्करी एक संगठित अपराध है, जिससे अपराधियों को भारी मुनाफा होता है। यह विशेष रूप से बच्चों और युवाओं का शोषण कर रहा है। इसे खत्म करने के लिए बहु-आयामी रणनीति अपनानी होगी।”
उन्होंने ट्रैफिकिंग के आर्थिक ढांचे को ध्वस्त करने, संगठित गिरोहों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सूचना साझा करने के लिए एक वैश्विक रजिस्टर तैयार करने की जरूरत पर जोर दिया।
क्या कहती है सरकार और प्रशासन?
बच्चों की तस्करी रोकने के लिए राज्य सरकार और प्रशासन को सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। पुलिस और खुफिया एजेंसियों को तस्करों के नेटवर्क पर कड़ी निगरानी रखनी होगी और स्थानीय दलालों पर नकेल कसनी होगी।
बनवासी विकास आश्रम और अन्य संगठनों ने सरकार से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील की है, ताकि झारखंड के बच्चों और युवाओं को तस्करी के दुष्चक्र से बचाया जा सके।