
एमएसीपी, पद सृजन व पुस्तक वितरण में देरी पर अजप्ता ने किया मंथन
डीजे न्यूज, हुसैनाबाद(पलामू) : उर्दू मध्य विद्यालय, हुसैनाबाद में अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ (अजाप्ता) की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता प्रखंड अध्यक्ष जुबैर अंसारी ने की, जबकि संचालन प्रखंड सचिव निर्मल कुमार ने किया। बैठक में शिक्षक हितों, संसाधनों की कमी और लंबित मांगों को लेकर गंभीर विमर्श हुआ।
भौतिक संसाधनों की कमी से शिक्षण कार्य बाधित
प्रखंड सचिव निर्मल कुमार ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता तभी बेहतर हो सकती है जब स्कूलों में भौतिक संसाधनों की पर्याप्त व्यवस्था हो। उन्होंने ग्रीष्मावकाश के बाद भी नई किताबें व पठन सामग्री उपलब्ध नहीं होने पर चिंता जताई। साथ ही उन्होंने जुलाई माह में प्रस्तावित वार्षिक वेतनवृद्धि और सेवा सत्यापन के लिए सेवा पुस्तिका शीघ्र जमा करने की अपील की।
लंबे सेवाकाल के बावजूद नहीं मिला वृति उन्नयन
प्रखंड अध्यक्ष जुबैर अंसारी ने कहा कि शिक्षक सीमित संसाधनों में उत्कृष्ट परीक्षाफल दे रहे हैं, परंतु 31 वर्षों की सेवा के बाद भी उत्क्रमित विद्यालयों में पद सृजन नहीं हुआ है। उन्होंने वृति उन्नयन योजना (एमएसीपी) को लेकर सरकार की निष्क्रियता पर गहरी नाराजगी जताई।
उन्होंने कहा कि “राजभवन पर अनशन और विधानसभा में चर्चा के बावजूद एमएसीपी योजना धरातल पर नहीं उतर सकी है। जनवरी 2026 में सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षक अब भी एक ही वेतनमान में कार्यरत हैं।
प्रधानाध्यापक पदों की रिक्तता पर चिंता
वरिष्ठ शिक्षक गिरिवर राम ने कहा कि अनेक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के पद रिक्त हैं और शिक्षा विभाग इस पर कोई संज्ञान नहीं ले रहा है।
सेवा विस्तार व सम्मान की मांग
मनोज कुमार चौधरी, प्रखंड कार्यकारिणी सदस्य ने सेवा में दो वर्षों की वृद्धि की मांग को समय की जरूरत बताया और कहा कि एमएसीपी सभी शिक्षकों के लिए जरूरी योजना है।
साथ ही बैठक में निर्णय लिया गया कि निकट भविष्य में सेवानिवृत्त शिक्षकों के लिए सामूहिक सम्मान समारोह का आयोजन किया जाएगा। जिला संयुक्त सचिव सुरेंद्र राम ने धन्यवाद ज्ञापन किया। बैठक में प्रमुख रूप से जुबैर अंसारी, निर्मल कुमार, जितेंद्र राम, सैय्यद इकबाल, परमानंद प्रियदर्शी, मनोज कुमार चौधरी, प्रमोद पासवान, महेंद्र बैठा, धुरेंद्र पटेल, दिवाकर पटेल सहित दर्जनों शिक्षक उपस्थित थे।
भीषण गर्मी के बावजूद दो घंटे तक चली इस बैठक में शिक्षकों ने एक स्वर में अपनी समस्याओं और लंबित मांगों को पुरजोर ढंग से उठाया।