
आदिवासी कार्ड खेल एक तीर से कई निशाना साध रहे रघुवर दास
सिर्फ आदिवासी विरोधी छवि बदलना ही नहीं खुद को प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पेश करना भी लक्ष्य कोल्हान से कोयलांचल होते हुए संतालपरगना तक दे दिया सीधा संदेश, झामुमो-कांग्रेस पर भी जमकर बोला हमला
देवभूमि झारखंड न्यूज की विशेष रिपोर्ट
दिलीप सिन्हा, धनबाद : ओडिशा के राज्यपाल की कुर्सी छोड़ झारखंड में भाजपा की राजनीति में फिर से उतरे पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आदिवासियों को साधने की मुहिम छेड़ दी है। कोल्हान से कोयलांचल होते हुए संतालपरगना तक धुआंधार दौरा कर वे खुलकर आदिवासी कार्ड खेल रहे हैं। रघुवर की इस मुहिम से दूसरे दल के आदिवासी नेताओं की चिंताएं बढ़ी हैं, साथ ही उनके दल के आदिवासी नेताओं के चेहरे पर भी शिकन पैदा कर दी है। दरअसल रघुवर दास आदिवासी कार्ड खेलकर एक तीर से कई निशाने साध रहे हैं। विरोधी पार्टियों ने रघुवर दास की आदिवासी विरोधी छवि बना रखी है। हालांकि रघुवर ने अपने पांच साल के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में आदिवासियोंं के हित में कई बड़े-बड़े कार्य किए हैं। आदिवासी कार्ड खेल रघुवर अपनी इस छवि को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। वह खुद को आदिवासियों का सबसे बड़ा हितैषी साबित करने में लगे हुए हैं। इस मुहिम से वह आदिवासियों के साथ-साथ भाजपा कार्यकर्ताओं को भी साध रहे हैं। मंडल अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक की कुर्सी भाजपा में खाली पड़ी है। रघुवर अपनी मुहिम से इस शून्यता को भरकर खुद को प्रदेश अध्यक्ष के सबसे मजबूत दावेदार के रूप में पेश कर रहे हैं। इसमें वह सफल होते हुए भी दिख रहे हैं। वह जहां भी जा रहे हैं, भाजपा कार्यकर्ता व नेता उनका दिल खोलकर स्वागत कर रहे हैं। विदित हो कि मार्च से प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष दोनों पद पर बाबूलाल मरांडी काबिज हैं। बाबूलाल के नेता प्रतिपक्ष हुए तीन महीने हो गए, लेकिन भाजपा झारखंड में नया प्रदेश अध्यक्ष नहीं दे सकी है। वैसे रघुवर एक मंजे हुए नेता हैं। वह खुलकर कुछ बोलते नहीं हैं। दुमका में उन्होंने पत्रकारों के समक्ष अपने भविष्य को लेकर उठे सवाल का जवाब दिया कि वह एक कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं। भाजपा ने उन्हें बहुत सम्मान दिया है। अब उन्हें किसी पद की लालसा नहीं है। लेकिन, कार्यकर्ता समझते हैं सब कुछ। रघुवर का क्या मिशन है, इससे कोई भी अनजान नहीं हैं। रघुवर दास पिछले दिनों धनबाद में भाजपा कार्यकर्ताओं को साधने के बाद संतालपरगना के जामताड़ा पहुंचे। संतालपरगना पहुंचते ही उन्होंने साफ कर दिया कि उनका मिशन आदिवासियों को साधना है। आदिवासी नेताओं की तरह उन्होंने आदिवासी रीति-रिवाज के तहत दिसोम मांझी थान मरांग बुरू की पूजा की। साथ ही मरांग बुरू से प्रार्थना की कि झारखंड से असुरी शक्तियों का नाश करें ताकि राज्य प्रगति की राह पर चल सके। जामताड़ा में सिदो-कान्हू संथाल आदिवासी ओवार राकाप संगठन के बैनर तले जन चौपाल लगाया। जन चौपाल में उन्होंने कहा-मैं राज्यपाल का पद छोड़कर आप लोगों के बीच में जागरूकता और राजनीतिक चेतना फैलाने आया हूं। आपका हक दिलाने के लिए मजबूती के साथ खड़ा हूं। इसके बाद दुमका में भाजपा अनुचूचित जनजाति मोर्चा के साथ बैठक कर आदिवासियों को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ दिलाने में सहयोग करने का आह्वान किया। दुमका में उन्होंने ग्राम प्रधानों, माझी परगनेतों के साथ बैठक भी की। इन बैठकों में वह पेसा कानून लागू नहीं होने को लेकर झामुमो और कांग्रेस पर सीधा हमला किया। बांग्लादेशी घुसपैठियों, धर्मांतरण से लेकर आदिवासी संस्कृति पर हमले का मामला मजबूती से उठाया। रघुवर ने साफ कर दिया-वह अभी आदिवासियों के बीच आगे भी सक्रिय रहेंगे। बरसात के बाद पदयात्रा करने का भी ऐलान रघुवर ने किया।