
गिरिडीह शहर की जनता को प्रदूषित पानी पिलाने में पक्ष-विपक्ष की मिलीभगत
अधिकारियों के अड़ंगे से ढिबरा चुनने से वंचित रह गए लाखों मजदूर : निर्मल झुनझुनवाला
देवभूमि झारखंड न्यूज से संवाद में सिविल सोसाइटी ने गिरिडीह की समस्याओं को मजबूती से रखा, जिला प्रशासन करे वार्ता तो हो सकता समाधान
तरूण कांति घोष, गिरिडीह :
गिरिडीह जिले में सिविल सोसाइटी का गठन किया गया है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करना है। सिविल सोसाइटी के साथ देवभूमि झारखंड न्यूज ने अपने शास्त्री नगर गिरिडीह कार्यालय में संवाद का आयोजन किया। गिरिडीह शहर की समस्याओं के साथ-साथ गांवा, तिसरी से लेकर कोडरमा की मुख्य मांग ढिबरा चुनने का अधिकार को लेकर देवभूमि झारखंड न्यूज के संवाददाता दिलीप सिन्हा व सुस्मिता गुड़िया ने सिविल सोसाइटी के पदाधिकारियों से लंबी बातचीत की। सिविल सोसाइटी के पदाधिकारियों ने इस संवाद में खुलकर समस्याओं को सामने रखा। साथ ही इसके समाधान में कहां-कहां अड़चन है, यह भी बताया। सिविल सोसाइटी ने आशा जताई है कि गिरिडीह के उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा इन प्रमुख सवालों पर सिविल सोसाइटी से बातचीत करेंगे और इसका समाधान का रास्ता निकालेंगे। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश :
सवाल : ढिबरा चुनने के मामले को पुनर्जीवित करने के प्रयास में क्या अपडेट है
जवाब : निर्मल झुनझुनवाला ने कहा कि यह बहुत ही दिलचस्प मामला है। एक्ट में इसे ओवर बर्डन कहा गया है। वानिकी उपज भी कह सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में लाखों टन डिबरा बिखरा पड़ा हुआ है, और इसे को-आपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से नीलामी कराने का मुद्दा उठाया था। मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू जो तब मंत्री नहीं सिर्फ विधायक थे, उन्होंने भी काफी प्रयास किया था। लेकिन, अधिकारियों के कारण यह प्रयास अभी तक रंग नहीं ला सका है। रज्य सरकार के भूगर्भ विज्ञान विभाग के पदाधिकारी ने तब लिख दिया था कि जांच हो कि इसमें कोई एटोमिक तत्व तो नहीं है। इस पर ढिबरा का सैंपल हैदराबाद भेजा गया। वहां से जनवरी 2024 में पत्र आया कि रिपोर्ट तैयार है, मंगवा लें। विभाग ने रिपोर्ट नहीं मंगाया। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस तरह का सैंपल हैदराबाद 15 से 16 बार भेजा गया था, लेकिन विभाग ने कभी भी रिपोर्ट नहीं मंगाया। ना ही इसका भुगतान किया। इस बार माइका कारोबारियों ने अपना पैसा लगाकर रिपोर्ट मंगाया। अब माइका खदान के इलाके में इथाइन पाने जाने की बात सामने आई है। इसकी जांच चल रही है। इस कारण, ढिबरा का मुद्दा लंबित पड़ गया है। कुल, मिलाकर अधिकारियों की नकारात्मक भूमिका के कारण लाखों मजदूरों को ढिबरा चुनने से वंचित होना पड़ रहा है।
सवाल : बिजली संकट से कैसे निपटा जाए
जवाब : सिविल सोसाइटी के अध्यक्ष निर्मल झुनझुनवाला
ने कहा कि बिजली विभाग के साथ कई दौर की बैठक कर उन्होंने सिर्फ शहर के किस ट्रांसफार्मर पर कितना लोड है इसकी जानकारी मांगी है, लेकिन बिजली विभाग वह भी उपलब्ध कराने में नाकाम है। उन्होंने कहा कि बिजली विभाग के अधिकारी का काम कुर्सी तोड़ना है, और सारा काम आउटसोर्स के माध्यम से किया जाता है।
सवाल : स्मार्ट मीटर लगाने से उपभोक्ता और आम जनता को कितना संतुष्टि मिलेगी
जवाब : निर्मल झुनझुनवाला ने कहा कि स्मार्ट मीटर लगाने का ठेका आउटसोर्सिंग एजेंसी को दिया गया है। फिलहाल उनका पाला स्मार्ट मीटर से नहीं पड़ा है, लेकिन उनके पास ऐसी व्यवस्था है कि वह पता लगा सकते हैं कि स्मार्ट मीटर सामान्य मीटर की तुलना में कितना तेजी से घुमता है। वैसे कई जगहों से सूचना मिली है कि साधारण मीटर से स्मार्ट मीटर तीन गुणा तेजी से घुमता है। कई जिलों से ऐसी खबरें आ रही हैं कि लोगों ने अपने यहां स्मार्ट मीटर लगाने से मना कर दिया है। विभाग स्मार्ट मीटर लगाने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है।
सवाल : गिरिडीह शहर में अतिक्रमण एक बड़ा मुद्दा है
जवाब : महासचिव मोहम्मद तारीक ने कहा कि ट्रैफिक और सड़क जाम की समस्या से उपायुक्त और नगर निगम के अधिकारी को अवगत कराया गया है। उन्होंने कहा कि गिरिडीह में सड़कें नहीं बल्कि सब्जी मंडी है। हम सब सड़क पर नहीं सब्जी मंडी में वाहन चलाते हैं। ट्रैफिक वाले वसूली का काम करते हैं। इस मुद्दे को और आगे बढ़ाते हुए अध्यक्ष निर्मल झुनझुनवाला ने कहा कि गिरिडीह में ट्राफिक थाना खुलवाते समय राज्य के एक बड़े अधिकारी ने कहा था कि ट्राफिक थाना खुलने से और परेशानी बढ़ेगी। आज यह बात आज सही साबित हुई है। एक भी प्रशिक्षित पुलिसकर्मी ट्राफिक थाना में नहीं है।
सिविल सोसाइटी के उपाध्यक्ष व अधिवक्ता शिवेंद्र सिन्हा ने ट्राफिक समस्या पर कहा कि दुर्घटनाएं लगातार हो रही हैं। सरकार नियम बनाती है। लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है। सड़कों के अनुपात में जनसंख्या और वाहनों की संख्या बढ़ी है, और ट्रैफिक नियम का पालन कराने का साधन भी उपलब्ध नहीं है। सरकर को इ पर ध्यान देना चाहिए।
सवाल : बिजली और पानी की समस्या से निजात दिलाने में सोसाइटी की भूमिका
जवाब : निर्मल झुनझुनवाला ने कहा कि पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित कराना सोसाइटी की प्राथमिकता सूची में है। उन्होंने कहा कि निगम क्षेत्र में पाइप लाइन बिछायी गई है, लेकिन पानी नहीं मिल रहा है। प्रदूषित जल की आपूर्ति नगर निगम कर रहा है। तालाब का पानी उठाकर सीधे घरों तक भेज दिया जा रहा है।
मोहम्मद तारीक ने कहा कि गिरिडीह के 36 वार्ड में पाइप लाइन बिछा हुआ है, लेकिन 20 वार्ड में बगैर फिल्टर किया हुआ पानी आता है। खंडोली डैम से गंदा पानी आपूर्ति किया जा रहा है। इसमें सत्ता और विपक्ष दोनों के लोग शामिल हैं।
सवाल : नगर निगम का चुनाव हो जाने से इन समस्याओं के समाधान की उम्मीद है क्या
जवाब : शिवेंद्र सिन्हा ने कहा कि समस्याओं के समाधान से चुनाव का कोई लेना-देना नहीं है। समाधान होनी है तो अभी भी हो सकती है, जब तक राज्य या देश में भ्रष्टाचार रहेगा तब तक सुधार की परिकल्पना करना बेकार है।
सवाल : प्रखंड व अंचल कार्यालय, थाना में भ्रष्टाचार का बोलबाला है
जवाब : मोहम्मद तारीक ने कहा कि इस पर खुद सीएम ने धनबाद में सार्वजनिक सभा में कहा था। सीएम के बयान के बाद कोई सुधार नहीं हुआ है। अब तो अधिकारी सोचते हैं कि उनको लाइसेंस मिल गया है।
सवाल : गिरिडीह में व्यापार की क्या स्थिति है
जवाब : लखन लाल ने कहा कि बगैर चढ़ावा दिए लाइसेंस नहीं मिलता है। यहां सिंगल विंडो सिस्टम की व्यवस्था नहीं है, और राज्य के युवा व्यापार करने के बदले रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेशों में जाना बेहतर समझ रहे हैं।
सवाल : जनसमस्याओं को लेकर जनप्रतिनिधियों की भूमिका
जवाब : महासचिव तारीक ने कहा कि यहां के सांसद तो चुनाव जीतकर लापता हो गए हैं। लापता होने का उनका पोस्टर लगना चाहिए। उनका चेहरा किसी ने देखा हो तो उसे इनाम मिलना चाहिए।