

300 साल पुराना पातालेश्वर धाम : अलकडीहा बूढ़ा बाबा करते हैं मनोकामना पूर्ण
जहां गाय के दुग्ध धारा से प्रकट हुए शिवलिंग, वहीं स्थापित हुआ मंदिर
श्रावण से शिवरात्रि तक उमड़ती है भक्तों की भीड़, चड़क पूजा भी विशेष आकर्षण
दीपक पांडेय, तिसरा(धनबाद) : झरिया से लगभग 4 किलोमीटर दूर स्थित अलकडीहा बूढ़ा बाबा शिव मंदिर, पातालेश्वर धाम आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। श्रद्धालु मानते हैं कि यहां आने वाले हर भक्त की सच्चे मन से की गई मनोकामना भोलेनाथ पूरी करते हैं।
मंदिर का इतिहास
करीब 300 वर्ष पूर्व यहां घना जंगल हुआ करता था। अलकडीहा निवासी हुटू मुदी, जो पेशे से ग्रामीण वैद्य थे, अपने मवेशियों को अक्सर उसी जंगल में चराने लाते थे। कई दिनों तक उनकी गाय दूध नहीं देती थी। एक दिन उन्होंने देखा कि उनकी गाय एक स्थान पर खड़ी होकर अपने आप दूध की धारा गिरा रही है। उसी रात उन्हें स्वप्न में भगवान शिव पातालेश्वर रूप में दर्शन देकर सेवा करने का संदेश दिए। इसके बाद हुटू मुदी ने अपनी सामर्थ्य अनुसार वहां छप्परनुमा मंदिर बनाया। तभी से मंदिर की प्रसिद्धि लगातार बढ़ती गई और भक्तों का विश्वास गहराता गया।
धार्मिक आयोजन
हर वर्ष महाशिवरात्रि पर बाबा की बारात और विशाल भंडारे का आयोजन होता है। श्रावण मास में बाबा का भव्य श्रृंगार किया जाता है और पूरे महीने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। वहीं, चैत संक्रांति पर चड़क पूजा का विशेष आयोजन होता है।
अलकडीहा धाम के पुजारी राहुल मुखर्जी ‘रुद्र’ ने बताया कि जो भी भक्त यहां सच्चे मन से आता है, बाबा बूढ़ा उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।
