

शिक्षक दिवस पर रांची में शिक्षकों का हल्ला बोल, डीएसई बादल राज का आदेश जलाया
वेतन वृद्धि पर रोक और शपथ पत्र के आदेश के खिलाफ सड़कों पर उतरे शिक्षक

डीजे न्यूज, रांची : राजधानी में शिक्षक दिवस के मौके पर शुक्रवार को हजारों प्रारंभिक शिक्षक अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आए। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ, रांची इकाई के आह्वान पर आयोजित इस विरोध कार्यक्रम में शिक्षकों ने डीएसई बादल राज द्वारा जारी आदेश की प्रतियां जलाकर विरोध जताया और जमकर नारेबाजी की।
कचहरी स्थित शिक्षा परिसर में पहले सभी शिक्षकों ने शिक्षा शास्त्री और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद वे कतारबद्ध जुलूस की शक्ल में नागा बाबा खटाल पहुंचे। यहां शिक्षकों ने डीएसई द्वारा जारी उस पत्र का विरोध किया, जिसमें वार्षिक वेतन वृद्धि के लिए हिंदी टिप्पण एवं प्रारूपण परीक्षा पास करने के साथ-साथ प्रथम श्रेणी दंडाधिकारी से शपथ पत्र जमा करने का निर्देश दिया गया है। शिक्षकों ने आरोप लगाया कि इस आदेश की वजह से राजधानी रांची के करीब तीन हजार शिक्षक जुलाई माह से वार्षिक वेतन वृद्धि से वंचित हैं। जबकि राज्य के अन्य 23 जिलों में जुलाई में ही शिक्षकों को यह लाभ दिया गया है। उनका कहना था कि रांची के शिक्षकों के साथ यह भेदभावपूर्ण व्यवहार और आदेश पूरी तरह अव्यवहारिक व मानसिक-शारीरिक उत्पीड़न है।
विरोध प्रदर्शन के दौरान शिक्षक बार-बार नारे लगाते रहे –
“अफसरशाही तानाशाही नहीं चलेगी”
“शिक्षकों का अपमान बंद करो”
“शिक्षक एकता जिंदाबाद”
“वेतन वृद्धि के लिए शपथ पत्र का आदेश वापस लो”
संघ के नेताओं ने कहा कि स्थापित नियमों से परे जाकर शिक्षकों का शोषण स्वीकार नहीं किया जाएगा। यदि आदेश वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा। इस मौके पर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अनूप केशरी, मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद, प्रवक्ता राकेश कुमार, सोशल मीडिया प्रभारी अजय ज्ञानी, कोषाध्यक्ष संतोष कुमार, जिला अध्यक्ष सलीम सहाय तिगा, महासचिव कृष्ण शर्मा, विमलेश कुमार मिश्रा, मनोज पांडे, अरविंद कुमार, अफसरुद्दीन, गोवर्धन महतो, सतीस बड़ाइक, जुबैर आलम, सुमंत कुमार लाल, शिवनाथ टोप्पो, भीम सिंह मुंडा, आगमलाल महतो, मुश्ताक कमर, जयप्रकाश कुमार, रविंद्र कुमार गोंड, दीपक केरकेट्टा, प्रकाश चंद्र दास सहित बड़ी संख्या में शिक्षक और महिला शिक्षिकाएं मौजूद थीं। इस आंदोलन से राजधानी का माहौल दिनभर शिक्षकों की आवाज़ों और नारों से गूंजता रहा।
