10 से 12 अक्टूबर तक आइआइटी-आइएसएम में होगा शताब्दी समारोह का आयोजन, इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन थर्मोफ्लुइड इंजीनियरिंग के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में जुटेंगे देश-विदेश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक

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10 से 12 अक्टूबर तक आइआइटी-आइएसएम में होगा शताब्दी समारोह का आयोजन,

इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन थर्मोफ्लुइड इंजीनियरिंग के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में जुटेंगे देश-विदेश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक

डीजे न्यूज, धनबाद: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स), धनबाद के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग की ओर से इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन थर्मोफ्लुइड इंजीनियरिंग का आयोजन 10 से 12 अक्टूबर तक किया जाएगा। यह सम्मेलन संस्थान के शताब्दी समारोह के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है।
तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक, प्रोफेसर, शोधकर्ता और उद्योग विशेषज्ञ एक मंच पर जुटेंगे। सम्मेलन का उद्देश्य फ्लूइड डायनैमिक्स, हीट ट्रांसफर और थर्मोफ्लुइड इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नए शोध, आइडिया और तकनीकी प्रगति पर चर्चा करना है।

कॉन्फ्रेंस में मल्टीफेज फ्लो, एक्सपेरिमेंटल और कम्प्यूटेशनल फ्लूइड डायनैमिक्स, माइक्रोफ्लूडिक्स, क्लीन एनर्जी और एनर्जी स्टोरेज, रेफ्रिजरेशन और HVAC, एयरोडायनामिक्स, थर्मल मैनेजमेंट, बायोलॉजिकल सिस्टम्स में ट्रांसपोर्ट फिनोमेना जैसे विषयों पर चर्चा होगी।

सम्मेलन में देश-विदेश के कई प्रख्यात विशेषज्ञ शामिल होंगे, जिनमें प्रो. पी. एस. ली (NUS, सिंगापुर), प्रो. बी. बी. साहा (क्यूशू यूनिवर्सिटी, जापान), प्रो. एस. के. दास (आईआईटी मद्रास), प्रो. एम. रामगोपाल (आईआईटी खड़गपुर), प्रो. ए. अग्रवाल (आईआईटी बॉम्बे) और प्रो. एस. अंसुमाली (जेएनसीएएसआर, बेंगलुरु) प्रमुख हैं।

कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. सोमनाथ चट्टोपाध्याय ने कहा कि संस्थान के 100 वर्ष पूरे होने के मौके पर यह एक अहम पहल है। इसका उद्देश्य थर्मोफ्लुइड साइंसेज़ में रिसर्च और ग्लोबल कोलैबोरेशन को और मज़बूत करना है।

संयुक्त संयोजक प्रो. पवन कुमार सिंह और प्रो. दीपक कुमार मंडल ने कहा कि यह कॉन्फ्रेंस शोधकर्ताओं को अपने इनोवेटिव रिसर्च साझा करने और ऊर्जा दक्षता व सतत विकास के नए रास्तों पर विचार-विमर्श का मंच देगी।

सह संयोजक प्रो. सत्यव्रत साहू और प्रो. सुब्रमनियन नारायणन ने बताया कि इस सम्मेलन का फोकस थ्योरी और इंडस्ट्रियल एप्लिकेशन के बीच की दूरी को कम करना है ताकि एनर्जी एफिशिएंसी, क्लीन टेक्नोलॉजी और थर्मल सिस्टम्स पर नए समाधान खोजे जा सकें।

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