जन विद्रोह था हूल दिवस : डॉ बलभद्र
डीजे न्यूज, गिरिडीह : गिरिडीह कॉलेज, गिरिडीह की एनएसएस इकाई एक का सात दिवसीय शिविर चल रहा है, जिसका आज तीसरा दिन था। आज के सारे कार्यक्रम हूल दिवस को समर्पित थे। आज के भी कार्यक्रम दो सत्रों में विभाजित थे। पहला सत्र साफ सफाई का था। स्वयंसेवकों ने आज सामुदायिक भवन के आगे और नदी घाट की सीढ़ियों पर जमी घासों और कंटीली झाड़ियों को साफ किया। साथ ही, बांस की फठियों के घेरे में खड़े अशोक के दो पौधों को घासों की सफाई कर उनकी जड़ों में मिट्टी डाली। सफाई के क्रम में ही उक्त स्थल पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ.समीर सरकार का आगमन हुआ। उन्होंने कार्य में रमे कैडेटों की तारीफ की और अपनी प्रसन्नता व्यक्त की।
सफाई कार्यक्रम के आरंभ में डॉ.बलभद्र सिंह ने हूल दिवस की चर्चा करते हुए सिद्धो, कान्हो, चांद, भैरव और फूलो, झानो का जिक्र किया साथ ही हूल के सभी शहीदों की स्मृति के प्रति सम्मान व्यक्त किया। बलभद्र ने विद्यार्थियों से बातचीत करते हुए कहा कि यह विद्रोह कार्ल मार्क्स के शब्दों में एक जनविद्रोह था और यह ब्रिटिश हुकूमत के साथ साथ स्थानीय महाजनों के खिलाफ था। इस विद्रोह के ठीक दो साल बाद 1857 का विद्रोह हुआ था, जिसका फलक बहुत बड़ा था। 30 जून 1855 के हूल विद्रोह को 1857 की पृष्ठभूमि समझना उचित होगा।
प्रभात कृष्ण ने कहा कि गांधी जी सत्य को बहुत महत्व देते थे। उन्होंने सत्य को ही ईश्वर माना और गुलामी को सबसे बड़ा अभिशाप।
दूसरा सत्र ‘हिंदी साहित्य और स्वाधीन चेतना’ विषय पर था।’ इस विषय पर बातचीत के लिए बतौर मुख्य वक्ता शैलेंद्र कुमार शुक्ल उपस्थित थे।
शैलेंद्र ने कहा कि स्वतंत्रता को समझने और उसको लेकर सचेत होने की जरूरत सदैव बनी रहती है।उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी, सुभद्रा कुमारी चौहान आदि रचनाकारों की रचनाओं का जिक्र किया। धनबाद से आई आस्था सिंह ने इस अवसर पर अपनी दो कविताओं का पाठ किया।
विद्यार्थियों की तरफ से शिवम सिंह और इन्दु कुमारी ने एक एक कविता का पाठ किया। इस सत्र का संचालन प्रभात कृष्ण ने किया। कार्यक्रम में प्रभाष मणि पाठक, रंधीर कुमार वर्मा, मनीषा कुमारी, हर्षिता, नेहा कुमारी, शिवम कुमार, विकास, कृष्णा, नीतेश, राखी टुड्डू, पूनम कुमारी, कुसुम राना, अंजलि कुमारी, सुरुचि भारती, खुशबू कुमारी, शीतल कुमारी, पूजा, सदाशिव, बीटू आदि अनेक शामिल रहे।