मधुबन : खुबसूरत वादियों में बसी जैन मंदिरों व धर्मशालाओं की नगरी
दीपक मिश्रा : मधुबन, एक ऐसी जगह जो अध्यात्मिक उर्जा से फल फूल रहा है, एक ऐसी जगह जहां दर्जनाधिक भव्य जैन मंदिर का निर्माण हुआ है, यह स्थल न केवल सालो भर धर्म व अध्यात्म के रंग में रंगा रहता है बल्ेिक पूरे विश्व को अहिंसा का पाठ पढ़ाता है। संक्षेप में कहें तो मधुबन पारसनाथ पर्वत की खुबसूरत वादियों में बसी जैन मंदिरों व धर्मशालाओं की नगरी है। यहां लगभग तीस धर्मशालायें व दर्जनाधिक जैन मंदिर है। कुछ श्वेतांबर जैन मंदिर है तो कुछ दिगंबर। तीर्थयात्री सबसे पहले मधुबन पहुंचते हैं। धर्मशाला में कमरा लेकर मधुबन के मंदिरों का दर्शन करते हैं। उसके बाद अगले दिन या फिर अपनी सुविधानुसार पारसनाथ पर्वत की योजना बनाते हैं। आमतौर पर पर्वत की यात्रा सुबह चार बजे होती है। पारसनाथ के बारे में जानने के लिए यहां पढें। धर्मशालाओं में तीर्थयात्री ठहरते हैं तथा मधुबन से ही पारसनाथ पर्वत की चढ़ाई करते है। विदित हो पर्वत के उपर रात में ठहरने की कोई सुविधा नहीं है।
जैन धर्म में मूल रूप से दो पंथ है ऐसे में दिगंबर व श्वेतांबर दोनों पंथों के लिए अलग-अलग धर्मशालायें हैं। गिरिडीह-डुमरी मुख्य मार्ग में डुमरी मोड़ से 16 किलोमीटर की दूरी पर मधुबन मोड़ है। यहां से मधुबन जाने के लिए एक अलग मार्ग है। मधुबन से मधुबन मोड़ की दूरी लगभग पांच किलोमीटर है लेकिन जैसे ही मधुबन मोड़ से मधुबन के लिए आप दो किलोमीटर आगे बढ़ते हैं धर्मशालाओं का सिलसिला शुरू हो जाता है। पर्वत की तलहटी तक मुख्य मार्ग के किनारे किनारे कई धर्मशालाएं स्थित हैं।
सिद्धायतन – मधुबन प्रवेश करने के दौरान सबसे पहले जो धर्मशाला मिलती है वह है सिद्धायतन। यहां के कमरे व सुविधायें काफी आधुनिक है। हलांकि यह धर्मशाला मधुबन बाजार व मंदिरों से काफी दूर है। इस कमी को दूर करने के लिए संस्था की गाडियां संस्था से बाजार तक चक्कर काटती रहती है।
राजेंद्रधाम – शोरगुल से दूर शांत वातावरण में रहना पसंद करते हैं तो राजेंद्रधाम में ठहर सकते हैं। यहां श्वेतांबर जैन मंदिर भी है।
तमिलनाडु भवन – लगभग दो वर्ष पहले तमिलनाडु भवन का उद्घाटन किया गया था। यहां भी आधुनिक सुविधायुक्त कमरे हैं जहां यात्रियों को ठहराया जाता है।
नाहर भवन – एसमेजेतीर्थरक्षा ट्रस्ट द्वारा संचालित है नाहर भवन। यहां भी यात्रियों को कमरे दिये जाते है।
निहारिका – नाहर भवन के ठीक समीप ही निहारिका है जो शाश्वत ट्रस्ट द्वारा संचालित है। यहां डिलक्स, सुपर डिलक्स, एसी, ननएसी हर तरह के कमरे उपलब्ध हैं। यहां तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ होती है। अगर आप यहां ठहरना चाहते हैं तो अग्रिम बुकिंग करा लें। निहारिका परिसर के अंदर कलश मंदिर है। इस दिगंबर जैन मंदिर मंे भी पूजोपासना को ले तीर्थयात्रियों की भीड़ लगी रहती है।
उत्तर प्रदेश प्रकाश भवन – यह भी एक ऐसी जगह है जहां तीर्थयात्री ठहरना पसंद करते है। यहां भोजनशाला भी है साथ ही साथ एक दिगंबर जैन मंदिर।
अणिंदा पार्श्वनाथ मंदिर – मुख्य मार्ग में तलहटी की ओर बढ़ने के क्रम में उत्तर प्रदेश प्रकाश भवन के बाद यात्री निवास नामक संस्था मिलती है जहां ठहरने की व्यवस्था है। यात्री निवास के बाद अणिंदा पार्श्वनाथ मंदिर मिलता है। इस मंदिर परिसर में ही धर्मशाला का निर्माण किया गया है।
कच्छी भवन – यहां भी ठहरने के लिए कमरे उपलब्ध हैं। नये कमरे बनाये गये हैं जिसमें एसी समेत अन्य आधुनिक सुविधायें उपलब्ध है। धर्मशाला परिसर में एक श्वेतांबर मंदिर है।
श्री दिगंबर जैन तेरहपंथी कोठी – यह धर्मशाला बहुत पुरानी है। पहले मधुबन में मुख्य रूप से तीन ही कोठियां थी उन्ही तीनों में से एक है तेरहपंथी कोठी। यहां काफी संख्या में कमरे है। साधारण कमरों के साथ एसी कमरे भी है। कोठी परिसर में दिगंबर जैन मंदिरों की एक श्रृंखला है। साथ ही साथ मूल मंदिर के पीछे नंदीश्वर द्वीप की रचना की गयी है। वहीं मंदिर के बाहर 52 फीट उंचा मानस स्तंभ है। स्तंभ के ठीक समीप ही कटक मंदिर है जहां चंद्रप्रभु, महावीर एवं नेमिनाथ भगवान की प्रतिमायें विराजमान है। इसी कोठी में लाल मंदिर है भी है। इस मिंदिर की विषेशता लाल रंग होने के साथ-साथ यहां का पुष्प उद्यान भी है।
मधुबन गेस्ट हाउस – तेरहपंथी कोठी से आगे बढ़ने पर मधुबन गेस्ट हाउस है। यह झारखंड सरकार के अधीन है। यहां भी ठहरने के लिए कमरे उपलब्ध हैं।
जैन श्वेतांबर सोसायटी – गेस्ट हाउस से उपर बढ़ने पर एक ओर बड़ी कोठी मिलती है वह है जैन श्वेतांबर सोसायटी। यहां भी ठहरने के लिए कई कमरे हैं। आप अपनी सुविधानुसार एसी और ननएसी कमरे ले सकते हैं। यहां भी मंदिरों का एक बड़ा समूह है। इस तीर्थ के रक्षक भोमिया बाबा का मंदिर इसी कोठी में स्थित है जो प्राचीन है। इसके अलावा मूलनायक संवलिया पाश्र्वनाथ मंदिर का भव्य मंदिर है। मूलनायक मंदिर के पीछे दादा गुरू का मंदिर है। मूल मंदिर के उत्तर भाग में मंदिरों का सिलसिला है जिनमें भगवान पाश्र्वनाथ, चंद्रप्रभ आदि की मूर्तियां विराजमान हैं।
श्री दिगंबर जैन बीसपंथी कोठी – इस पोस्ट में जिक्र कर चुका हूं कि पहले के समय में मुख्य रूप से तीन कोठिया ही थी। श्री दिगंबर जैन तेरहपंथी कोठी, जैन श्वेतांबर सोसायटी के अलावा तीसरी कोठी श्री दिगंबर जैन बीसपंथी कोठी है। यह बहुत पुरानी व बड़ी कोठी है। ठहरने के लिए एसी व ननएसी कमरों की व्यवस्था है। यहां ग्यारह मंदिरों का समूह है।
तलेटी तीर्थ – मुख्य मार्ग से दूर हटकर भी कुछ संस्थायें हैं। एक है तलेटी तीर्थ जो पारसनाथ पर्वत से सटा हुआ है। यहां भव्य मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। यहां यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था है।
जहाज मंदिर – आचार्य सुयश सूरी जी महाराज की प्रेरणा से संचालित अखिल भारतीय सराक संगठन में भी ठहरने के लिए कमरे हैं। यहां एसी कमरे नहीं है। वहीं भव्य श्वेतांबर मंदिर का निर्माण किया जा रहा है।
कुंद कुंद कहान नगर – यहां भी एक भव्य दिगंबर जैन मंदिर है साथ ही साथ रहने के लिए आधुनिक सुविधायुक्त कई कमरे भी हैं। धार्मिक संस्थाओं के लिए कुछ लोगों की व्यक्तिगत धर्मशालांए भी है पर सभी का जिक्र एक ब्लाग में कर पाना संभव नहीं है।
मधुबन के अन्य आकर्षण
जैन म्यूजीयम – श्री जितयशा फाउंडेशन द्वारा संचालित इस म्यूजियम का निर्माण 1991 में कराया गया था। विभिन्न झांकियों से जैन इतिहास को दर्शाया गया है। यहां पर दूरबीन भी रखा गया है जिससे पारसनाथ पर्वत स्थित भगवान पाश्र्वनाथ और चंद्रप्रभु टोंकों का दर्शन किया जा सकता है। यहां का पार्क बच्चों को खूब आकर्षित करता है। गर्मी के मौसम में सुबह आठ बजे से दोपहर बारह बजे तक तथा दोपहर एक बजे से षाम 6 बजे तक खुला रहता है। वहीं ठंढ़ के मौसम में सुबह 8ः30 बजे से दोपहर 12 बजे तक तथा दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।
श्री दिगंबर जैन म्यूजीयम
इस म्यूजीयम का निर्माण 1998 में किया गया था। इसका उद्वेश्य जैन धर्म की मौलिकता का पूर्ण दिग्दर्शन वैज्ञानिक पद्धति से कराना है। यहां जैन धर्म से संबंधित 38 झांकियां हैं साथ ही साथ कई और झांकियां बनाने की भी योजना है।
मध्यलोक, तीसचैबीसी, समवशरण आदि ऐसे मंदिर भी है जहां की भव्यता व सुंदरता देखते ही बनती है।
मधुबन के मुख्य उत्सव
नववर्ष – नववर्ष को ले सैलानियों के साथ-साथ तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ उमडती है। मधुबन के विभिन्न मंदिरों मंे विशेष कार्यक्रम का आयोजन कियाा जाता है। इस अवसर पर भोमिया जी मंदिर में विशेष पूजा व भजन कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। बाबा का दर्शन कर नववर्ष की शुरूआत करना चाहते हैं ताकि पूरा वर्ष मंगलमय हो।
होली – होली के अवसर पर भी यहां तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ होती है। देश के विभिन्न जगहों से तीर्थयात्री यहां पहुंचते हैं। यहां की होली की सबसे बड़ी खासियत यह है कि होली में रंगों की कोई भूमिका नहीं होती। पूर्णरूपेण अध्यात्मिक होली होती है। होली के अवसर पर विभिन्न मंदिरों में भजन व रात्रि जागरण का आयोजन किया जाता है।
महावीर जयंती – जैन समाज द्वारा मधुबन में धूमधाम से महावीर जयंती मनायी जाती है। इस अवसर पर कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
मोक्ष सप्तमी- मोक्ष सप्तमी या सावन सप्तमी भी एक ऐसा धार्मिक अवसर है जिसमें तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ उमड़ती है। भगवान पाश्र्वनाथ को निर्वाण लड्डू अर्पित करने के उद्वेश्य से भारी संख्या में तीर्थयात्री यहां पहुंचते हैं।
यह स्थल जैन धर्मावलंबियों का प्रसिद्ध तीर्थस्थल है ऐसे में तीर्थयात्रियों के अलावा जैन साधुओं का भी समय ≤ पर आगमन होते रहता है। सालोंभर कुछ न कुछ धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होते रहता है।
कैसे पहुचंे
निकटतम एयरपोर्ट – कोलकाता स्थित सुभाष चंद्र बोस हवाई अड्डा तथा रांची स्थित बिरसा मुंडा हवाई अड्डा से यहां पहुंचा जा सकता है। मधुबन से कोलकाता की दूरी 350 किलोमीटर तथा रांची की दूरी 200 किलोमीटर है।
निकटतम स्टेशन – पारसनाथ स्टेशन से मधुबन की दूरी 22 किलोमीटर है।
सड़क मार्ग – यह सड़क मार्ग के जरिये विभिन्न शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। सडक मार्ग के जरिये भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।