गिरिडीह में कैदी वाहन ब्रेक करने वाले हार्डकोर नक्सली छोटका मरांडी व रूदो यादव को उम्रकैद

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गिरिडीह में कैदी वाहन ब्रेक करने वाले हार्डकोर नक्सली छोटका मरांडी व रूदो यादव को उम्रकैद 

नक्सलियों ने 2012 में न्यायालय से जेल लौट रहे कैदियों से भरे वैन पर किया था हमला 

दो पुलिसकर्मियों और कैदी की हुई थी मौत, दर्जनों हुए थे जख्मी

डीजे न्यूज, गिरिडीह : गिरिडीह कैदी वाहन ब्रेक कांड में दो हार्डकोर नक्सलियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इस कांड में ग्यारह साल बाद जिला जज नवम नीरजा आश्री की अदालत ने बुधवार को हार्डकोर नक्सली छोटका मरांडी और रुदो यादव को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।साथ ही अन्य धाराओं में दो साल से लेकर दस साल तक की सजा दी गई है। सभी सजा साथ साथ चलेगी। हत्या की धारा में तीस हजार रुपए जुर्माना भी लगाया गया है। अन्य धाराओं में कुल एक लाख उन्नीस हज़ार रुपए जुर्माना दोनों नक्सलियों को अलग अलग जमा करने का आदेश दिया गया है।जुर्माना राशि जमा नहीं करने पर छह माह से लेकर 15 दिनों तक का सजा कारावास में काटनी होगी। इसके पूर्व न्यायालय में सजा की बिंदु पर सुनवाई हुई। पीपी सुधीर कुमार ने कहा कि यह एक ऐसी घटना थी जिसमें पुलिस के साथ बंदियों को निशाना बनाया गया था। प्रशासन को धत्ता बताते हुए जघन्य अपराध किया गया था। कड़ी सजा देने की वकालत की। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने न्यूनतम सजा देने की मांग की।न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सजा सुनाई। न्यायालय ने दोनों को बीते गुरुवार को दोषी करार दिया था। इस मामले के चार आरोपित बबलू सिंह, कीर्तन यादव, गुलजार मियां और बाबूलाल बेसरा को पर्याप्त साक्ष्य के भाव में रिहा किया गया था। इनमें कीर्तन यादव कोलकाता के अलीपुर जेल में बंद है जबकि बबलू सिंह कोडरमा जेल में बंद था। दोनों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से फैसला सुनाया गया था।

 

हार्डकोर प्रवेश दा को छुड़ाने जोनल कमांडर चिराग के दस्ते ने किया था हमला

 

यह घटना मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के अजीडीह मोड़ की है। इस कांड के सूचक तत्कालीन हवलदार फ्रांसिस जेवियर बाड़ा ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। घटना स्थल गिरिडीह धनबाद मुख्य रोड पर है। रोज की तरह तीन वाहनों में विचाराधीन कैदियों को न्यायालय से वापस जेल लाया जा रहा था। नौ नवंबर 2012 को शाम करीब पांच बजे नक्सलियों ने कैदी वाहन पर हमला कर दिया। कैदी वाहन पर पहले बम से हमला किया फिर अंधाधुंध गोलियां बरसाई गई थी। इस हमले में तीन पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे और एक बंदी की भी मौत हो गई थी।शहीद होनेवाले पुलिसकर्मियों में पुलिस लाइन में पदस्थापित एएसआइ प्रभुनाथ सिंह, डीएसपी कार्यालय में पदस्थापित सिपाही राजकुमार दास व वाहन चालक सदानंद गगराई शामिल थे। इस दौरान आठ नक्सली समेत कुल 29 बंदी भागने में सफल रहे थे। भागने वालों में दो कुख्यात अपराधी भी शामिल थे। कैदी वाहन में कुल 32 बंदी सवार थे। कोर्ट में पेशी के बाद इन कैदियों को जेल ले जाया जा रहा था। तभी नक्सलियों ने प्रवेश दा उर्फ सहदेव मांझी समेत कई हार्डकोर नक्सलियों को छुड़ाने के लिए अचानक हमला किया था। घटनास्थल गिरिडीह जिला मुख्यालय से मात्र चार किलोमीटर दूर था।

 

तीन नक्सलियों की रिहाई भी छोटका को बचा नही पाई

 

इस कांड में अलग से चार नक्सली आरोपितों का केस न्यायालय में चला था जिनमें विधायक महेंद्र सिंह की हत्या का आरोपित रमेश मंडल, दर्जनों मामले के आरोपित रहे हार्डकोर जोनल कमांडर मिथिलेश मंडल, हार्डकोर नुनुचन्द महतो उर्फ डॉक्टर और डाका कांड का आरोपित इसराफिल शामिल था। इन सभी आरोपितों के मामले में न्यायालय में पर्याप्त साक्ष्य पेश नहीं किए जाने के कारण रिहा किए गए थे। जिला जज नवम नीरजा आश्री की न्यायालय ने फरवरी 2023 को इन चारों आरोपितों को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में रिहा किया था।

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