हत्याकांड में माता-पिता के बदले सुर, बावजूद दामाद समेत दो को उम्रकैद

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डीजे न्यूज, गिरिडीह : न्यायालय ने माना फूलो देवी की मौत हादसा नही थी।उसकी हत्या हुई थी।प्रधान जिला जज वीणा मिश्रा की अदालत ने बुधवार को भुनेश्वर यादव और दीपक यादव को हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही दस हजार रुपए जुर्माना जमा करने का भी आदेश दिया है।जुर्माना जमा नही करने पर अतिरिक्त सजा काटनी होगी।न्यायालय ने बीते शनिवार को दोनों को दोषी करार दिया था।इसके पूर्व सजा की बिंदु पर बहस करते हुए बचाव पक्ष के अधिवक्ता जयकुमार वर्मा ने न्यूतम सजा देने की मांग की।वही पीपी गोरखनाथ सिंह ने कड़ी सजा देने की मांग की।न्यायालय ने दोनों पक्षो की दलीलें सुनने के बाद सजा सुनाई।इस कांड का दिलचस्प पहलू यह देखा गया कि किसी का खून होने पर उसे छुपाया नहीं जा सकता है।घटना तिसरी थाना क्षेत्र के नीमाडीह गांव की है।इस कांड के सूचक सूचक सिंघेश्वर यादव ने प्राथमिकी दर्ज कराते हुए कहा था कि उसकी बेटी फूलो देवी की शादी भुनेश्वर यादव के साथ 2010 मे हुआ था। शादी के बाद उसकी बेटी के साथ पति और ससुराल वाले मारपीट करते थे। इसे लेकर पंचायती भी हुई थी। उसे 25 सितंबर 2021 को सूचना मिली थी कि उसकी बेटी को ससुराल वालों ने हत्या कर दिया है।उसके ससुराल में जाकर देखा फूलो का शव खाट पर पड़ा हुआ था।शरीर मे जख्म थे।उन्होंने पति और ससुराल वालों पर हत्या का आरोप लगाया था।
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हत्या के कुछ माह बाद सूचक का बदला बोल
: हत्याकांड के बाद पुलिस ने फूलो के पति भुनेश्वर और देवर दीपक को गिरफ्तार कर जेल भेजी थी।जेल जाने के बाद संभवतः सूचक और आरोपितों के बीच सुलह का दौर चला होगा।न्यायालय में बीते छह अप्रैल को दोनों आरोपितों का आरोप गठन किया गया।फिर शुरू हुई न्यायालय में गवाह का दौर।सूचक सह मृतक के पिता सिंघेश्वर यादव,मृतक की मां जयंती देवी और भाई जितेंद्र यादव का बोल न्यायालय में बदल गया।जिस पिता ने हत्या की बात कही थी।न्यायालय में उसे हादसा बताया।तीनो ने कहा कि उसकी बेटी घर के बैल को चारा खिलाने गई थी। गिर जाने से उसे चोट लगी।जिससे उसकी मौत हो गई थी।उसकी हत्या नही हुई थी।मृतक के तीन रिस्तेदारों के साथ अन्य सभी गवाहों को विरोधी घोषित किया गया।न्यायालय ने जख्म प्रतिवेदन जिसमे मृतक के शरीर मे उसके सर में मिले जख्म को आधार माना।साथ ही साथ ही शादी के बाद ससुराल में हुए झगड़ा और पंचायती को भी माना।जब सब कुछ ठीक था तो झगड़ा और पंचायत क्यो हुई थी।सूचक के बदले बोल आरोपितों को रिहाई नही दिला सकी।इस मामले में न्यायालय ने रिकॉर्ड ग्यारह माह में के समय मे अपराधियों को सजा सुनाई है।

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