मन के बाग में आजादी के फूलों के कवि थे गोरख : बलभद्र

0

डीजे न्यूज, गिरिडीह : जनकवि गोरख पांडेय की स्मृति में रमा कॉम्प्लेक्स, मकतपुर, गिरिडीह के स्मार्ट ड्रीम एकेडमी में काव्यपाठ सह परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सामाजिक कार्यकर्ता धरणीधर प्रसाद और संचालन बलभद्र ने किया।

जसम के राज्य सचिव बलभद्र ने गोरख की कविताओं की वैचारिकी पर बात करते हुए कहा कि गोरख हिंदी और भोजपुरी की जनधर्मी काव्यधारा के क्रांतिकारी दार्शनिक कवि थे। किसान संघर्षों की वैचारिकी को कविता में पिरोना कोई गोरख से सीखे। ‘बुआ के लिए’ और ‘कइसे चलेलें’ कविता और गीत का पाठ करते हुए कहा कि गोरख मन के बाग में आजादी के फूलों के कवि थे। वे जानते थे कि पूंजी की सत्ता के खात्मे के बगैर मन के बाग में आजादी के फूल नहीं खिल पाएंगे।

जसम की राज्य कमेटी के सदस्य शंकर पांडेय ने कहा कि गोरख की कविताओं में आम जनता के बदलाव की आकांक्षाएं अभिव्यक्त हुई हैं। अपने वक्तव्य में उन्होंने गोरख के गीतों और भोजपुर के किसान संघर्षों के हवाले बताया कि जनता की जीवन स्थितियों और बदलाव की सरगर्मियों को प्रभावी स्वर देते हैं गोरख। उन्होंने ‘कैथरकला की औरतें’ कविता का भी जिक्र किया।

रामदेव विश्वबंधु ने गोरख को सामाजिक और राजनीतिक बदलाव का कवि कहा और ‘दंगा’ और ‘उनका डर’ कविता का जिक्र किया।

इस अवसर पर राधा सिंह ने गोरख की चर्चित कविता ‘कुर्सीनामा’, शैलेंद्र कुमार शुक्ल ने ‘भडुआ वसंत’, चंद्रशेखर पांडेय ने ‘समाजवाद’, महेश सिंह ने ‘मैना’ गीत का प्रभावशाली एवम् सस्वर पाठ किया।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कवि- गीतकार राजेश पाठक ने अपनी कविताओं और गीतों का पाठ किया। राजेश ने अपनी एक कविता में कहा कि जीने और रहने के अलग अलग तरीकों के होते हुए भी यह देश सबका है। उन्होंने सुनाया कि ‘सबको अपनी पड़ी सुनता कौन है/ खामखा मुफलिसी चुनता कौन है!’ प्रदीप कुमार गुप्ता ने जीवन में आ रही मुश्किलों को कविता में सुनाते हुए कहा कि ‘कोई पास बैठे तो सही’। हिंदी और अवधी भाषा के चर्चित युवा कवि शैलेंद्र कुमार शुक्ल ने अपनी कविता ‘गोरख पांडेय हॉस्टल’ और गौरी लंकेश की शहादत पर केंद्रित ‘बूसी बसिया’ का पाठ किया। अपनी कविता में शैलेंद्र ने गोरख को अपने अंदर के मानुष को जिंदा रखने वाला कवि कहा है। महेश सिंह ने ‘मेरे साथी’ और ‘सूखा’ शीर्षक कविताओं के पाठ किए। परवेज शीतल ने ‘नई सुबह की रागिनी गाती नारियां’ का पाठ किया। छोटू प्रसाद ने पिता की स्मृति में लिखी कविता ‘हकीकत सपने की’ का भावपूर्ण पाठ किया। हलीम असद ने ‘नींद आंखों से है इधर रूठी’ और महेश अमन ने ‘धर्म धर्म खेलते हैं’ के काव्यपाठ किए।

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में धरणीधर प्रसाद ने गोरख के राजनीतिक व सामाजिक सरोकारों की चर्चा करते हुए ऐसे कार्यक्रमों को निरंतर करते रहने की जरूरत बताई। इस अवसर पर रणधीर प्रसाद वर्मा, माही सिंह, प्रीति भास्कर भी उपस्थित थे।

इस खबर को शेयर करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *