आस्था का प्रतीक झारखंडधाम, शिवभक्तों का लगता है तांता

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DHN Desk Giridih

शिवभक्तों के आस्था का केंद्र झारखंडधाम गिरिडीह जिला के जमुआ प्रखंड में स्थित है। सालोभर लगने वाला शिवभक्तों का तांता स्पष्ट रूप से संकेत देता है कि इस मंदिर की ख्याति दूर दूर तक फैली है। शिवभक्तों के मन में गहरी आस्था है कि यहां मांगी गई मन्नतें अवश्य पूरी होती है। प्रत्येक सोमवार, सावन मास तथा शिवरात्रि के अवसर पर भक्तों की भारी भीड. उमड पडती है।

मंदिर पहुंचने से पहले ही एक बडा तालाब दृष्टिगोचर होता है। यह एक पुराना तालाब है जिससे साफ सुथरा अथवा सुंदर रूप देने का प्रयास किया गया हेै। श्रद्धालुओं के लिए घाट तैयार किए गए है। भक्तगण यहां स्नान कर मंदिर प्रवेश करते हैं।

मंदिर की एक खासियत आपका ध्यान अपनी ओर खींच सकती है और वह है इसका छत विहिन होना। ऐसा कहा जाता है कि कई बार इस  मंदिर की छत बनाने की कोशिश की गयी पर कभी भी छत बन नहीं पायी। ऐसे में भक्तों को यह मान लेना पडा कि बाबा भोले को पक्की छत स्वीकार नहीं है। फिर कभी छत बनाने की कोशिश नहीं की गयी।

मनोकामना को ले धरना देते हैं भक्त

इस मंदिर में धरना देने की भी प्रथा है, जो काफी अनोखी है। भक्त हठयोग से अपने आराध्य को मनाने की कोशिश करते हैं। यहां भगवान को खुश करने या फिर जब मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो लोग धरना देते हैं। धरना देने वाले भक्त महीनों.सालों तक भगवान के समक्ष इस मंदिर प्रांगण में ही रहते हैं। यहीं पूजा पाठ करते हैं, कहीं से कुछ प्रसाद मिल गया तो खाकर ही रहते हैं।

पर्यटन में अपार संभावनाएं

इरगा नदी किनारे स्थित झारखंडधाम को एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की कोशिश की गयी। इसे विकसित करने को पर्यटन विभाग की ओर से लगभग छह करोड़ रुपये खर्च किए गए। कई भवन बनाए गए पर इमारत की चमक अब रखरखाव के अभाव में फीकी पड़ने लगी है। यहां चार साल पूर्व पर्यटन को पहुंचनेवाले श्रद्धालुओं के लिए सुंदर विवाह भवन, सर्किट हाउस, मार्केट कांप्लेक्स, तीन बड़े शौचालय, बैठने की छतरी, दोनों ओर प्रवेश द्वार, बगान, फुलवारी सहित बनी अन्य निर्माण व्यवस्था के अभाव में शोभा की वस्तु बनकर रह गया है। हलांकि इस पर सरकारी ध्यान की जरूरत है। तीर्थस्थल होने के साथ यहां पर्यटन की भी असीम संभावनाएं हैं।

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