कुर्मी आंदोलन से हो रहा आदिवासी विरोधी धुर्वीकरण, समर्थन दे रहा झामुमो-टीएमसी-बीजद
डीजे न्यूज डेस्क, रांची : आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा है कि
अनुसूचित जनजाति (ST) बनने की दौड़ में कुरमी समाज द्वारा 20 सितंबर से झारखंड, उड़ीसा और बंगाल में रेल-रोड चक्का जाम आंदोलन किया गया। इस आंदोलन ने नये राजनीतिक ध्रुवीकरण को जन्म दिया है। आदिवासी विरोधी इस धुर्वीकरण का आदिवासी सेंगेल अभियान विरोध करती है। भाजपा नेता व केंद्रीय आदिवासी मंत्री विश्वेश्वर टुडू ने दिल्ली से 24 सितंबर को वक्तव्य दिया है कि ओडिशा में बीजू जनता दल के सुप्रीमो ने विगत विधानसभा चुनाव के दौरान मयूरभंज के जोशीपुर के पास रामतीर्थ में घोषणा किया था कि हम कुरमी महतो जाति को एसटी का दर्जा दिलाएंगे। कुरमी भवन बनाने के लिए एक करोड़ रुपयों का योगदान भी करेंगे। उस पर केंद्रीय मंत्री विश्वेश्वर टुडू ने पूछा है कि वह एक करोड़ रुपया कहां गया ? कुरमी विरोधी वक्तव्य के लिए मंत्री विशेश्वर टुडू का बारीपदा में 23 सितंबर को पुतला दहन भी किया गया है। केंद्रीय मंत्री ने कुरमी रेल रोड रोको के पीछे बीजेडी की तरफ इशारा किया है। झारखंड में जेएमएम खुलकर कुरमी महतो को आदिवासी बनाने का पक्षधर रहा है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में 8 फरवरी 2018 को उनके सभी सांसद / विधायक नियमित हस्ताक्षर के साथ ज्ञापन तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को दिया था। बंगाल की टीएमसी पार्टी भी कुरमी समर्थन के रास्ते पर अग्रसर है। उपरोक्त तथ्यों से प्रमाणित हो जाता है कि बीजेडी, जेएमएम और टीएमसी जैसी क्षेत्रीय पार्टियां आदिवासी विरोधी हैं। वोट की लालच में असली आदिवासियों को बर्बाद करना चाहते हैं। यदि कुरमी और अन्य अनेक जातियों को केवल वोट बैंक की लालसा में एसटी का दर्जा दे दिया जाएगा तो असली आदिवासी (संताल, मुंडा, उरांव, हो,भूमिज, खड़िया, पहाड़िया, गोंड आदि) का जेनोसाइड या कत्ल निश्चित है। सालखन मुर्मू ने कहा है कि सेंगेल जहां भाजपा के केंद्रीय आदिवासी मंत्री विश्वेश्वर टुडू की स्टैंड का समर्थन करता है वहीं बीजेडी, जेएमएम और टीएमसी के आदिवासी विरोधी रवैया का विरोध करता है। यदि ये तीनों पार्टियां अपना आदिवासी विरोधी स्टैंड नहीं बदलते हैं तो 5 प्रदेशों में आदिवासी इनका खिलाफत करने को बाध्य होंगे। सेंगेल द्वारा आयोजित सरना धर्म कोड कोलकाता रैली, 30 सिंतबर को इसका सार्वजनिक विरोध घोषणा किया जाएगा। जहां 5 प्रदेशों से लाखों आदिवासी सरना धर्म कोड रैली में शामिल होंगे।