वेलेंटाइन डे के नाम पर न हो फूहड़ता का प्रदर्शन
पूरी दुनिया वेलेंटाइन डे मनाने को बेकरार है। वेलेंटाइन डे का बेसब्री से इंतजार कर रहा एक बड़ा वर्ग येजनाएं बना रहा है। पर यह समझने की जरूरत है कि हाथ में हाथ लेकर, जमाने से बेफिक्र होकर एकांत राहों में टहलने और एक-दूसरे के तारीफ में कसीदे पढ़ने से कहीं ज्यादा बढ़कर है प्रेम। यह वही प्रेम जिसे समझने की जरूरत है। प्रेम वह स्नेह, आदर, वात्स्लय, आत्मीयता, इंसानियत और आपसी समझदारी की वह प्रस्तुति है जो संबंधों को जीवन भर के लिए प्रगाढ़ बना देती है। साथ ही जीवन के कठिन दौर में भी सभलने व धैर्य बनाये रखने की संबलता प्रदान करती है। वेलेंटाइन डे का मतलब प्रेम के नाम पर छिछोरापन व फूहड़ता दिखाना कतई नहीं है। वेलेंटाइन डे भले ही एकदिवसीय उत्सव है पर हमें इसके सार को समझने की जरूरत है। यह खास दिन सिर्फ प्रेमी जोड़े के लिए नहीं परिवार से भी प्यार दिखाने का दिन है। इस प्रेम को हमेशा संजोए रखें। कोई ऐसा परिवार नहीं है जो मुश्किलों से नहीं गुजरा हो या फिर गुजर रहा हो। लेकिन परिवार के सदस्य एक दूसरे को समय दें, साथ दे ंतो यकीनन घर के माहौल को सकारात्मक किया जा सकता है। जिसके घर में सकारात्मक परिवर्तन हुआ है वह एक दूसरे की मदद और प्यार से ही तो संभव हुआ है।
वेलेंटाइन डे का अर्थ यह भी नहीं कि अपनी संस्कृति को बचाने के नाम पर हाथ में लाठी-डंडा लेकर एक फिल्मी विलेन की तरह प्रेमी जोड़ों के पीछे पड़ जायें। हर साल विभिन्न जगहों से तस्वीरें आती है जिसमें संस्कृति के रक्षा के नाम पर बदतमीजी की जाती है। ऐसा कुछ भी नहीं होना चाहिए कि किसी के दिलो दिमाग में जिंदगी भर की टीस न रह जाय। हलांकि हमारी संस्कृति ‘वसुधैव कटुंबकम‘ का पाठ पढ़ाती है यानी सफल जीवन के लिए विश्व के एक हरेक व्व्यक्ति से प्रेम की आवश्यकता है।