सनातन धर्म में समाहित है विश्व कल्याण : डॉ विनोद उपाध्याय
सनातन धर्म में समाहित है विश्व कल्याण : डॉ विनोद उपाध्याय
सेनादोनी में चल रहे भागवत कथा में उमड़ रही भक्तों की भीड़
डॉ उपाध्याय के स्वरचित काव्य पुस्तक रुक्मिणी-परिणय का हुआ वितरण
डीजे न्यूज, गिरिडीह : सनातन परम्परा में जब भी किसी यज्ञ या अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है तो वह वैयक्तिक कल्याण, उन्नति एवं बधाओं के निवारण के साथ समस्त समाज, राष्ट्र एवं विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता हैl ये बातें यज्ञाचार्य डॉ विनोद कुमार उपाध्याय भागवत मधुरेश ने सेनादोनी के देवनगर में कही। कार्तिक उद्यापन सह श्री भागवत पुराण महायज्ञ में सनातन धर्म की परंपरा के बारे में बताया।उन्होंने श्री कृष्ण जन्म एवं उनकी बाल लीलाओं तथा महारास लीला की सप्रसंग व्याख्या करते हुए कहा कि सनातन परम्परा में जितने भी अवतार हुए हैं उनका परम ध्येय “वसुधैव कुटुंबकम” के वैश्विक विस्तार के साथ लोककल्याण करना ही रहा है l ठीक उसी तरह भगवान श्री कृष्ण भी अपने अवतारी चरित्र के माध्यम से मानव समाज को कर्मण्यता एवं सदाचार की प्रेरणा देते हैं l साथ ही साथ यह भी सन्देश देते हैं कि सामाजिकता के साथ जब धार्मिक आचरण का संयोग होता है तो किसी भी कठिन कार्य को बड़ी आसानी से पूर्ण किया जा सकता है। अपने कथावाचन के मध्य में पुराणों में श्रेष्ठ श्रीमदभागवत पुराण के श्लोक एवं श्री रामचरितमानस के चौपाईओं सहित कवितावली एवं अपने स्वरचित श्लोकों एवं कविताओं के समन्वित वक्तव्य एवं गायन से उपस्थित लोगों को भावविह्वल कर दिया l इस अवसर पर उपाध्याय ने श्री कृष्ण एवं महारानी रुक्मिणी के विवाह पर आधारित अपने स्वरचित काव्य पुस्तक रुक्मिणी-परिणय का वितरण किया। विदित हो कि इस पुस्तक को विदित हो कि समाज में सराहना के साथ साथ विभिन्न पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। इस दौरान सैकड़ों श्रोताओं के मध्य राजेश कुमार उपाध्याय, कुंदन उपाध्याय, बबलू उपाध्याय, रुपेश शास्त्री, युगल किशोर पाठक, आनंद उपाध्याय, सुनील लाभ ने सम्मिलित रूप से अपनी संगीतमय प्रस्तुति दिया। यज्ञ आयोजकों द्वारा भंडारा के साथ प्रसाद वितरण भी इस अवसर पर किया गया l