गैर आदिवासी से विवाह करने वाली महिला को पैतृक संपत्ति में नहीं मिले अधिकार : सालखन

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डीजे न्यूज, रांची : आदिवासी सेंगेल अभियान की मंगलवार को गांधी वाटिका मोरहाबादी में विशेष बैठक हुई। इसमें आदिवासी समाज के समक्ष सरना धर्म कोड की मान्यता, कुर्मी महतो एसटी बनने की कवायद, डीलिस्टिंग और आदिवासी महिलाओं को पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी आदि के मुद्दों पर चर्चा की गई। चिंता व्यक्त की गई कि रांची के इर्द गिर्द अनेक सरना धर्म संगठन होने के बावजूद उनके बीच एकजुटता की कमी खलती है। उनके बीच एकता और आंदोलन मूलक कार्यक्रम की कमी भी दुर्भाग्यपूर्ण है। सभी सरना धर्मावलंबियों से अपील की गई कि वे सरना धर्म कोड की मान्यता के लिए 30 जनवरी के राष्ट्रीय रेल- रोड चक्का जाम में सहयोग करें। कुरमी महतो का एसटी मामला राजनीतिक है। इसके लिए झामुमो सर्वाधिक दोषी है। ईसाई बने आदिवासियों का डिलिस्टिंग अनिवार्य है। आदिवासी महिलाओं को भी पैतृक संपत्ति में अधिकार मिलना जायज है, परन्तु गैर आदिवासियों से शादी करने वाली महिलाओं को इससे वंचित रखा जाए।

बैठक में रांची प्रमंडल के लिए आदिवासी सेंगेल अभियान की कमेटी का गठन किया गया। बिरसा उरांव को अध्यक्ष, चेरवा खलखो को महासचिव, चमरू उरांव को कोषाध्यक्ष तथा रामकृष्ण भगत को उप कोषाध्यक्ष और बंधनी टोप्पो को सचिव नियुक्त किया गया। सेंगेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने रांची प्रमंडल क्षेत्र में सेंगेल की जिला कमेटियों के गठन के लिए इन्हें अधिकृत किया। बैठक में सेंगेल के देवनारायण मुर्मू , चंद्रमोहन मार्डी, ज्योति मुर्मू, तिलका मुर्मू, बसंती किस्पोट्टा, किरण खलखो, बिनोद उरांव आदि उपस्थित थे।

केंद्रीय संयोजक सुमित्रा मुर्मू ने कहा कि रांची के मोरहाबादी मैदान में 22 दिसंबर को देश-विदेश से लाखों आदिवासी ” हासा- भाषा जीतकर माह हा “( मातृभूमि- मातृभाषा विजय दिवस ) समारोह में शामिल होंगे।

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