क्या बाबूलाल अपने घर में रोक सकेंगे कल्पना की ललकार

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क्या बाबूलाल अपने घर में रोक सकेंगे कल्पना की ललकार

दो दिग्गजों के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गई गिरिडीह की छह विधानसभा सीटें, कल्पना-सुदिव्य के चक्रब्यूह को तोड़ने की भाजपा के समक्ष चुनौती, तिसरी में कल्पना की सभा में उमड़ी भीड़ भाजपा और बाबूलाल के लिए हो सकता चिंता का विषय

डीजे न्यूज, गिरिडीह : प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी गिरिडीह जिले के राजधनवार विधानसभा अंतर्गत तिसरी प्रखंड के कोदाईबांक के रहने वाले हैं। राजधनवार के वह विधायक हैं और फिर से वहां से चुनाव लड़ रहे हैं। बाबूलाल के इस गृह जिले के गांडेय विधानसभा सीट से उप चुनाव लड़कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन झारखंड की राजनीति में एंट्री की है। उप चुनाव में बाबूलाल अपने गृह जिले से कल्पना को उड़ान भरने से नहीं रोक सके थे। कल्पना भारी मतों से जीतकर विधानसभा पहुंची थी। अब विधानसभा चुनाव में कल्पना बाबूलाल के घर में दहाड़ रही हैं। बाबूलाल के गांव तिसरी में झामुमो प्रत्याशी निजामुद्​दीन अंसारी के समर्थन में विशाल चुनावी सभा कर कल्पना ने चुनौती दे डाली है। कल्पना की तिसरी की सभा में जिस तरह भीड़ उमड़ी वह बाबूलाल और भाजपा के लिए चिंता का विषय हो सकता है। कारण, राजधनवार विधानसभा क्षेत्र के तिसरी प्रखंड को बाबूलाल का गढ़ माना जाता है।
गिरिडीह जिले में कल्पना मुर्मू सोरेन और सुदिव्य सोनू ने जो चक्रब्यूह तैयार किया है, उसे रोकना भाजपा के लिए चुनौती है।
इधर कल्पना की सभा के बाद बाबूलाल ने अपने चुनाव क्षेत्र में अपना अभियान तेज कर दिया है।
गिरिडीह जिले की छह विधानसभा सीटें गिरिडीह, गांडेय, डुमरी, बगोदर, राजधनवार एवं जमुआ बाबूलाल एवं कल्पना के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन चुकी है। इसमें से भाजपा और झामुमो पांच-पांच सीटों पर लड़ रही है। भाजपा ने डुमरी सीट अपनी सहयोगी पार्टी आजसू के लिए तथा झामुमो ने बगोदर सीट भाकपा माले के लिए छोड़ी है। वहीं राजधनवार में माले और झामुमो के बीच दोस्ताना संघर्ष हो रहा है। गिरिडीह की इन छह सीटों में से अधिक से अधिक सीटें जिताने की इस चुनौती को बाबूलाल और कल्पना दोनों ने स्वीकार कर लिया है। सुदिव्य सोनू के साथ मिलकर कल्पना सोरेन पिछले छह महीने से गिरिडीह जिले में झामुमो का आधार बढ़ाने में लगी हैं। इसमें वह काफी हद तक सफल भी हुई हैं। गिरिडीह की इस जंग को जीतने के लिए बाबूलाल और कल्पना दोनों चुनावी मुहिम में लगे हैं। अब इसमें कौन कितना सफल होगा, यह जानने के लिए अभी आपको 23 नवंबर तक इंतजार करना होगा।
गिरिडीह सीट की बात करें तो यहां विधायक व झामुमो प्रत्याशी सुदिव्य कुमार सोनू एवं पूर्व विधायक व भाजपा प्रत्याशी निर्भय कुमार शाहाबादी के बीच सीधी लड़ाई है। सुदिव्य सोनू अपने पांच साल के कार्यकाल की तुलना शाहाबादी के दस साल से कर रहे हैं। वहीं डुमरी विधानसभा सीट में मंत्री व झामुमो प्रत्याशी बेबी देवी को त्रिकोणीय संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है। जेएलकेएम प्रत्याशी टाइगर जयराम महतो एवं भाजपा समर्थित आजसू प्रत्याशी यशोदा देवी उन्हें टक्कर दे रहे हैं। बगोदर में माले विधायक विनोद कुमार सिंह एवं भाजपा प्रत्याशी पूर्व विधायक नागेंद्र महतो के बीच कांटे की लड़ाई है। जमुआ में पूर्व विधायक व झामुमो प्रत्याशी केदार हाजरा को भाजपा प्रत्याशी डॉ. मंजू कुमारी टक्कर दे रही हैं। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले केदार हाजरा भाजपा छोड़ृकर झामुमो और मंजू कुमारी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं।
गांडेय में विधायक व झामुमो प्रत्याशी कल्पना मुर्मू सोरेन का भाजपा प्रत्याशी मुनिया देवी से सीधा मुकाबला है। राजधनवार में बाबूलाल मरांडी त्रिकोणीय लड़ाई का सामना कर रहे हैं। झामुमो प्रत्याशी निजामुद्​दीन अंसारी एवं माले प्रत्याशी पूर्व विधायक राजकुमार यादव उन्हें टक्कर दे रहे हैं। गिरिडीह की जनता यह मान रही है कि राज्य में यदि भाजपा को बहुमत मिली तो बाबूलाल मरांडी मुख्यमंत्री हो सकते हैं। ऐसे में गिरिडीह की छह विधानसभा सीटों पर कब्जा करने की इस लड़ाई में उनके सामने मजबूत दीवार बनकर कल्पना और सुदिव्य सोनू खड़े हैं।

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