जब जब भी धरती पर आसुरी शक्ति हावी हुई परमात्मा ने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया।
डीजे न्यूज, लोयाबाद, धनबाद : जब-जब भी धरती पर आसुरी शक्ति हावी हुईं, परमात्मा ने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की। मथुरा में राजा कंस के अत्याचारों से व्यथित होकर धरती की करुण पुकार सुनकर नारायण ने कृष्ण रुप में देवकी के अष्टम पुत्र के रूप में जन्म लिया और धर्म और प्रजा की रक्षा कर कंस का अंत किया।एकडा स्थित राधा कृष्ण प्रेम मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर आयोजित भागवत कथा में प्रवचन करते हुए सुरेंद्र हरिदास जी महाराज ने कही। जन्माष्टमी का त्योहार इलाके में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। हरिदास जी ने श्रीकृष्ण जन्म का प्रसंग सुनाते हुए विभिन्न प्रसंगों का वर्णन करते हुए कहा कि ईश्वर की चौबीस अवतारों में से प्रमुख भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र से मर्यादा और श्रीकृष्ण के चरित्र से ज्ञान, योग व भक्ति की प्रेरणा लेकर जीवन को धन्य करना चाहिए।जीवन में भागवत कथा सुनने का सौभाग्य मिलना बड़ा दुर्लभ है। जब भी हमें यह सुअवसर मिले, इसका सदुपयोग करना चाहिए। कथा सुनते हुए उसी के अनुसार कार्य करें। कथा का सुनना तभी सार्थक होगा जब उसके बताए हुए मार्ग पर चलकर परमार्थ का काम करें। रामकथा का संक्षिप्त में वर्णन करते हुए कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने धरती को राक्षसों से मुक्त करने के लिए अवतार धारण किया। श्रद्धालु के भगवान कृष्ण के जय जय कारे से पंडाल गुंज रहा था। श्रीकृष्ण के कंस के कारागार में जन्म का विस्तृत वर्णन करते हुए कहा कि देवकी वसुदेव की संतानो की कंस द्वारा हत्या के बाद आठवीं संतान के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म होने पर वसुधेव द्वारा उन्हें टोकरे में बिठाकर नंद गाव पहुंचाने, यमुना मैया द्वारा श्रीकृष्ण चरण प्रक्षालन के बाद गोकुल में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के वर्णन ने वातावरण को कृष्णमयी बना दिया। श्रद्धालुओं द्वारा नंद घर आनंद भयों, जय हो कन्हैयालाल की, बाजै बाजै रे बधाई भैया तोरे अंगना सहित कृष्ण भजनों पर भाव विभोर होकर बधाईयां बाटने का दौर चला।