प्राकृतिक नैसर्गिक सौंदर्यता और मनोरम छंटा का प्रतीक है तोपचांची झील

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प्राकृतिक नैसर्गिक सौंदर्यता और मनोरम छंटा का प्रतीक है तोपचांची झील

1924 में आज ही रखी गई थी नींव

तरुण कांति घोष, धनबाद : प्राकृतिक और नैसर्गिक सौंदर्यता तथा मनोरम पहाड़ियों की गोद में बसा है तोपचांची झील। आज ही के दिन 15 नवंबर 1924 को बिहार-ओडिशा के गर्वनरी सर हेनरी वीलर ने कोयलांचल में जलापूर्ति करने के उद्देश्य से इस झील की नींव रखी थी। यह झील धनबाद से 30 किमी की दूरी पर स्थित है। तोपचांची झील के आसपास की खूबसूरत वादियां, पारसनाथ की पहाड़ी श्रृंखला, वन्य जीवों की मौजूदगी पर्यटकों को आकर्षित करती है। पर्यटन स्थलों में तोपचांची झील की एक अलग पहचान है। इसकी नैसर्गिक सुंदरता देश भर में विख्यात है। यूं तो इसकी मनोरम छंटा का आनंद लेने यहां सालोंभर सैलानियों का तांता लगा रहता है, लेकिन वर्ष के अंतिम माह यानी दिसंबर में क्रिसमस से लेकर जनवरी तक पिकनिक मनाने के लिए पर्यटकों की यहां भीड़ जुटती है। ठंड के मौसम में साइबेरियन पक्षियों से झील गुलजार रहता है। साइबेरियन पक्षियों के आगमन से झील की सुंदरता और बढ़ जाती है।‌

बगैर मोटर पंप के जलापूर्ति है खासियत

झील की बनावट ऎसी है कि बिना मोटर पंप के ही यहां से लगभग 50 किमी की दूरी तक स्थित विभिन्न इलाकों में पानी की आपूर्ति की जाती है।

नैसर्गिक सौंदर्यता के कायल हैं मायानगरी के फिल्म निदेशक: इस झील की नैसर्गिक सौंदर्यता से अभिभूत होकर फिल्म निदेशक यहां पर कई फिल्मों की शूटिंग करवा चुके हैं। वर्ष 1966 में हिंद फिल्म के स्टार कलाकार धर्मेद्र, राजश्री तथा महमूद की फिल्म मोहब्बत एक जिंदगी है के कई दृश्य का फिल्मांकन इस झील में किया गया था। बंगला फिल्म के सुपर स्टार उत्तम कुमार, अशोक कुमार सुचित्रा सेन ने नूतन तिर्थो, सुदु एक टू बोछोर सहित क ई फिल्मों का शूटिंग के लिए यहां आ चुके हैं। झारखंड के स्थानीय कलाकारों के खोरठा व नागपुरी गानों की शूटिंग भी इस झील पर हमेशा होती है। कुलभूषण खरबंदा, गिरिश कर्नाड, मजहर खान आदि कलाकारों ने यहां ‘संपर्क’ फिल्म की शूटिंग की थी। त्रिद्वीप कुमार ने भोजपुरी फिल्म ‘सोलह श्रृंगार करे दुलहनियां’ की शूटिंग करने यहां आए थे।

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