प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान को उच्च प्राथमिकता देना तथा इस अभियान को जन-आंदोलन बनाना सभी का कर्तव्य : अन्नपूर्णा
डीजे न्यूज, गिरिडीह : नगर भवन में आयोजित कार्यक्रम में शामिल मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य शिक्षा मंत्री अन्नपूर्णा देवी, विधायक गिरिडीह सुदिव्य कुमार सोनू, विधायक जमुआ केदार हाजरा, सांसद प्रतिनिधि गिरिडीह दिनेश यादव, उप महापौर प्रकाश सेठ, जिला परिषद अध्यक्ष मुनिया देवी, उप विकास आयुक्त शशि भूषण मेहरा, सिविल सर्जन शिव प्रसाद मिश्रा व अन्य सम्मानित अतिथियों के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर प्रधानमंत्री यक्ष्मा मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की गई। इस अभियान के अन्तर्गत भारत को 2025 तक यक्ष्मा मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया। इस अभियान के शुभारंभ के अवसर पर मुख्य अतिथि व सम्मानित अतिथियों के अलावा जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, एनएचएम, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीगण व अन्य संबंधित अधिकारी एवं कर्मी उपस्थित थे।
मुख्य अतिथि अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि राष्ट्रपति के द्वारा प्रधानमंत्री यक्ष्मा मुक्त भारत अभियान का शुभारंभ किया गया। जिसका उद्देश्य उच्च प्राथमिकता के साथ इस अभियान को जन-आंदोलन बनाना सभी नागरिकों का कर्तव्य है। इस अभियान को जन-आंदोलन बनाने के लिए लोगों में टीबी के बारे में जागरूकता पैदा करनी होगी। उन्हें बताना होगा कि इस बीमारी का रोकथाम संभव है। इसका इलाज प्रभावी और सुलभ है। सरकार इस बीमारी का रोकथाम और उपचार के लिए निःशुल्क सुविधा प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि ‘नि-क्षय 2.0’ का उद्देश्य टीबी मुक्त भारत के लिए जन भागीदारी बढ़ाना है। साथ ही टीबी रोग पर नियंत्रण हेतु लोगों को सावधानियां बताते हुए जागरूक करने का प्रयास किया जाय, जिससे कि वो जागरूक होकर इस अभियान में हिस्सा लें।
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टीबी बीमारी के ये हैं प्रमुख लक्षण :
1. लगातार 3 हफ्तों से खांसी का आना और आगे भी जारी रहना।
2. खांसी के साथ खून का आना।
3. छाती में दर्द और सांस का फूलना।
4. वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना।
5. शाम को बुखार का आना और ठंड लगना।
6. रात में पसीना आना।
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सिविल सर्जन डॉ शिव प्रसाद मिश्रा ने बताया कि जिले में कुल 13 टीबी ट्रीटमेंट यूनिट है। जो हर प्रखंड के सीएचसी में उपलब्ध है। साथ ही 16 टीबी डायग्नोस्टिक लैब है। जो सभी प्रखंडों के सीएचसी के साथ साथ डिस्ट्रिक्ट टीबी सेंटर, पीएचसी अटका, पीएचसी पालगंज व मिशन हॉस्पिटल बेलाताड़ में उपलब्ध है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि NTEP के अंतर्गत जिले में निशुल्क इलाज उपलब्ध कराए जाते है। इसके तहत Sputum एग्जामिनेशन, टू-नेट टेस्ट, CBNAAT टेस्ट, एक्सरे, ECG आदि निशुल्क टेस्ट उपलब्ध है। आगे उन्होंने बताया कि वर्तमान में जिले में टीबी के कुल 1538 इलाजरत मरीज है। बगोदर में 73, बेंगाबाद में 84, बिरनी के 104, देवरी में 87, डीटीसी गिरिडीह में 537, डुमरी में 103, गांडेय में 132, गांवा में 49, जमुआ में 76, पीरटांड़ में 98, राजधनवार में 86, सरिया में 41 तथा तिसरी में 68 इलाजरत मरीज है। इसके साथ ही जिले में पीडियाट्रिक टीबी के 94 इलाजरत मरीज है। साथ ही एमडीआर टीबी के 88 इलाजरत मरीज है। टीबी एचआईवी इंफेक्टेड इलाजरत मरीजों की संख्या 16 है और टीबी डायबिटीज co-morbid इलाजरत मरीजों की संख्या 61 है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि निक्षय पोषण योजना के तहत् मरीजों को इलाज के दौरान प्रत्येक माह वाली राशि 500.00 रूपये दी जाती है। जिसके तहत अबतक 19,438 मरीजों को इसका लाभ दिया जा चुका है। इसके अलावा टीबी सपोर्टर के रूप कार्य करने वाले 1617 ट्रीटमेंट सपोर्टर को इंसेंटिव दिया जा चुका है। साथ ही 57 प्राइवेट टीबी practioners को इंसेंटिव दिया जा चुका है।
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_उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 2025 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य के प्राप्त करने के लिए पोषण संबंधी सहायता, जीवन-यापन जैसे निर्धारकों में सहयोग हेतु बहुक्षेत्रीय भागीदारी पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत नि-क्षय मित्र द्वारा टीबी रोगियों को उपचार अवधि में अतिरिक्त पोषण, जांच एवं उपचार आदि में सहयोग दिया जाएगा। साथ ही Corporates , Cooperative Societies , Private Companies , Public Representative , Political Parties , NGO , Individuals and other Stackholders को सामुदायिक भागीदारी के तहत् टीबी मरीजों को इलाज के दौरान गोद ( Adoption ) लेने हेतु प्रेरित किया जाना है। निक्षय पोषण योजना के तहत् मरीजों को इलाज के दौरान प्रत्येक माह दी जाने वाली राशि 500.00 रूपये ( सरकार द्वारा ) के अतिरिक्त उन्हें अन्य सहयोग प्रदान की जानी है। गोद लेने वालों का नामांकरण ” निक्षय मित्र किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य टीबी मरीजों के लिए सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करना एवं CSR Corporate के तहत् सामाजिक उत्तरदायित्व से संबंधित कार्यों को लागू करवाना है। निक्षय मित्र के द्वारा कम से कम एक प्रखण्ड या एक से अधिक या एक जिला या राज्य को छः माह से तीन साल तक के लिए Adopt किया जाना है।_