प्रवासी मजदूर बालगोविंद का शव गांव पहुचते ही मचा कोहराम

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डीजे न्यूज,
*बोकारो*: जैसे ही बुधवार को बालगोविंद महतो का शव गुजरात  के वापी से पेंक थाना क्षेत्र अंतर्गत कोठी गांव पहुंचा तो परिजनों के हृदय विदारक चित्कार से पूरा माहौल गमगीन हो गया। बालगोविंद महतो की पत्नी हेमंति देवी का रोते रोते बुरा हाल हो चुका था। वह लगातार अचेत हो जा रही थी। उन्हें आसपास की महिलाओं द्वारा संभाला जा रहा था। अपने पति के खोने के गम में वह किसी की नही सुन रही थी। उनके एक ही शब्द सभी को रुला दे रही थी कि हम केकर बिगडले रहनी हा, अब हमनी के केकरा सहारे रहब। उसकी पत्नी यह कह कर दहाड़ मार रही हैं कि मुझे क्या मालूम कि मेरे पति मुझे ठुकरा कर जिंदगी के उस दहलीज पर ले जाकर खड़ा कर देंगे।पत्नी की बिलाप सुन कर उपस्थित लोग भी अपने-अपने आंसू को नही रोक पाए। वहीं बालगोविंद महतो का शव जैसे ही उनके घर पहुंचा तो क्या बूढ़े, क्या नौजवान एका एक उसके घर के तरफ दौड़ पड़े। मृतक बालगोविंद के दोनो बेटे राजेश महतो, मोहित महतो व बेटी पुष्पा कुमारी मृत पिता के शव को निहार-निहार बिलख रही थी। उनकी आंखों के आंसू भी सुख गये थे।बताते चलें कि पेंक थाना क्षेत्र के कोठी निवासी अघन महतो के 45 वर्षीय पुत्र बालगोविंद महतो एक महीने पूर्व नवकर कंपनी में कार ड्राइवर के रूप में काम करने गुजरात के वापी गये थे। वहां पिछले रविवार को हृदय गति रूकने से उसकी मौत हो गयी।इस दुखद घटना को लेकर प्रवासी मजदूरों के लिए काम करने वाले सिकन्दर अली ने कहा कि  गिरीडीह, बोकारो व हजारीबाग जिले के अधिकतर युवक रोजगार के लिए पलायन कर चुके हैं। अधिकतर मजदूर विदेशों में काम करते हैं। प्रवासी मजदूरों की मौते लगातार हो रही हैं। यह एक बडी चिंता का विषय है। सिकंदर ने राज्य सरकार से मृतक परिवारों को सरकार की ओर से उचित सहयोग राशि देने की मांग की है।

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