नाथो सिंह का शव महाराष्ट्र से पहुचते ही मचा कोहराम

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डीजे न्यूज, हजारीबाग : जैसे ही गुरूवार सुबह को एंबुलेंस से टीभा सिंह के पुत्र नाथो सिंह का शव महाराष्ट्र के औरंगाबाद के नाशिक से बिष्णुगढ के चलनियां गांव पहुँचा तो परिजनों के हृदय विदारक चीत्कार से पूरा माहौल गमगीन हो गया।नाथो सिंह की विधवा पत्नी ललिता देवी का रोते रोते बुरा हाल हो चुका है,वे लगातार अचेत हो जा रही थी। जिनको आस पास के महिलाओं द्वारा सम्भाला जा रहा था,लेकिन अपने पति के खोने के गम में वह किसी की नही सुन रही थी,उनके एक ही शब्द सभी को रुला दे रही थी कि हम केकर बिगडले रहनी हा, अब हमनी के केकरा सहारे रहब। उसकी पत्नी यह कह कर दहाड़ मार रही हैं कि मुझे क्या मालूम कि मेरे पति मुझे ठुकरा कर जिंदगी के उस दहलीज पर ले जाकर खड़ा कर देंगे कि जहां मेरे रिमझिम आंखों के आंसू ही सुख जाएंगे। विधवा पत्नी की बिलाप सुन कर उपस्थित लोग भी अपने-अपने आंसू को नही रोक पाए। मृतक नाथो सिंह का शव जैसे ही उनके घर पहुंचा तो “क्या बूढ़े, क्या नौजवान एका एक उसके घर के तरफ दौड़ पड़े ।मृतक नाथो सिंह के तीनो पुत्री गोलकी कुमारी(16),रूपी कुमारी,बुधनी कुमारी(09) मृत पिता के शव को निहार-निहार बिलख रही थी।जबकि दो साल का मासूम बेटे शिवज सिंह मां और बहनो को रोते देखकर समझ नही पा रहा था कि मेरा पिता का साया सर से उठ चुका है।वहीं इस घटना को लेकर प्रवासी मजदूरों के हितार्थ में कार्य करने वाले समाजसेवी सिकन्दर अली संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि झारखंड के नौजवानों की मौत के मुंह में समा जाने की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई लोगों की मौत हो चुकी है।हजारीबाग,गिरिडीह और बोकारो जिले के आस पास क्षेत्रो की एक के बाद एक लगातार हो रही प्रवासी मजदूरों की मौत का शिलशिला नहीं थम रहा हैं।लेकिन सरकार मजदूरो के हित में कुछ पहल नहीं कर पा रही है और मजदूरों का पलायन तेजी से हो रहा है।ऐसे में सरकार को रोज़गार के ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए।ताकि मजदूरो का पलायन रोका जा सके।

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