शिक्षक प्रतिनिधियों से आमने सामने बातचीत कर विभाग शिक्षा में कर सकता गुणात्मक सुधार 

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शिक्षक प्रतिनिधियों से आमने सामने बातचीत कर विभाग शिक्षा में कर सकता गुणात्मक सुधार 

डीजे न्यूज, पलामू : 

दिन भर चले तो ढ़ाई कोस,चरितार्थ हुआ शिक्षक संघ ‘अजाप्टा’ बनाम विभाग।वर्षों से शिक्षक संघ ‘अजाप्टा’ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिये हल्ला बोल कर रहा है। कमियों का आईना दिखा रहा है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत प्रथम चरण में संबंधित पदाधिकारियों से शिष्टाचार मुलाकात करना, ज्ञापन सौंपना, काला बिल्ला लगाकर काम करना, जिलों व राज्य मुख्यालय में रोषपूर्ण प्रर्दशन करना जैसे विरोध स्वरुप कामों की शुमार है। विभाग का प्रत्येक चरण में आश्वासन मिला लेकिन नेकनीयती से नहीं। फलतः आज समस्याओं का अंबार है।

विभागीय नियमों की खुल्लमखुल्ला अवलेहना की गयी।

इस संबंध में पश्चिमी सिंहभूम अन्तर्गत चक्रधरपुर के शिक्षक और अजाप्टा के नीति सिद्धांत पर चलने का दंभ भरनेवाले कमलेश पांडेय का कहना है कि विभागीय नियमावली’93 के अनुसार प्रत्येक वित्तीय वर्ष अप्रैल माह में सभी कोटि के शिक्षकों का मास्टर सूची प्रकाशित करना है। इसके बाद वरीयता सूची का प्रकाशन करना है। तत्पश्चात् रिक्तियों के मुताबिक वांछनीय ग्रेडों में पद प्रोन्नति, लेकिन विडंबना है कि विभाग अपने ही बनाये नियमों से पीछे हटता है और बाद में स्वीकृत पद को पद रिक्ति के तिथि से भूतलक्षी कहकर देने से आनाकानी करता है। आखिरकार कौन दोषी है।सम्यक विचारणीय पहलू है। तीस वर्षों के सेवाकाल में प्रोन्नति तो दूर लेकिन अन्य विभागों की तरह प्रावधानित अधिकतम तीन अतिरिक्त इन्क्रीमेंट पर भी पानी फिरा। मतलब वेतन के अलावे ठन ठन गोपाल।

अजाप्टा केंद्रीय समिति शिक्षा शिक्षक बिन्दुओं को लेकर जबरदस्त हल्ला बोल किया किन्तु विभाग के सेहत पर कोई प्रभाव नहीं। 2024 भी इसी तरह खत्म हो गया।

पलामू जिले के पांड़ु प्रखंड के राज्य प्रतिनिधि मुस्ताक अंसारी का कहना

है कि आरटीई के मानक पहलुओं के अनुरुप ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सकती है। मसलन छात्र संख्या के अनुरुप शिक्षकों की पदस्थापना। आज विभाग बैकफुट पर है। नाना बहाना बनाकर प्रोन्नति, वृत्ति उन्नयन रोकी हुई है।

उल्लेख्य है कि विद्यालय में बच्चों के ठहराव को लेकर सोमवार, शुक्रवार को अंडा फल तथा पौष्टिकता से भरपूर मध्याह्न भोजन दिया जाता है। अब सवाल उठता है कि जिस काम के लिये माता पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं उसके लिये क्या दक्ष शिक्षकों के बिना शैक्षणिक वातावरण बन सकता है? महज कोरी कल्पना है।

आज शिक्षा दीवार बनी हुई है अमीरों और गरीबों के बीच। सरकारी स्कूलों में संसाधन का रोना पड़ता है, प्राइवेट स्कूलों में संसाधन की कोई कमी नहीं।शिक्षक प्रतिनिधियों से कभी भी शिक्षा शिक्षक हितार्थ बिंदुओं को लेकर आमने सामने बैठकर बातें नहीं होती है जिसके कारण सतही समस्याओं से विभाग बेखबर रहती है।

नववर्ष 2025 में शिक्षा में व्यापक सुधार तभी विभाग का प्रयास सफल माना जा सकता है जब शिक्षक प्रतिनिधियों से बातचीत हो और प्राथमिकता के आधार पर समस्याओं का हल हो।

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