दिव्यांगों के हौसलों की उड़ान को मिल रहा तमिप के सहयोग का पंख
दीपक मिश्रा : तरूण मित्र परिषद, समाज सेवा के क्षेत्र में एक ऐसा नाम जो दिल्ली के दायरे से निकलकर राष्ट्रीय फलक पर अपना छाप छोड़ रहा है। बीते 47 वर्षों से आज तक लगातार बिना रूके बिना थके मानव सेवा में तल्लीन है। कई दिव्यांगों ने कृत्रिम अंग व सहायक उपकरणों को पाकर थम सी गयी जिंदगी को नयी रफ्तार दी है। दिव्यांग शिविर लगाकर कभी कृत्रिम अंग दिए जाते हैं तो कभी सहायक उपकरण। 11 मार्च को गिरिडीह में सहायक उपकरण व श्रवणयंत्र आदि दिए जाऐंगे। इस बाबत परिषद के संस्थापक व महासचिव अशोक जैन ने देवभूमिझारखंडन्यूज से विस्तार से बात की।
1975 से मानव मात्र की सेवा के लिए काम कर रहा है तरूण मित्र परिषद
एम.काम तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद श्री जैन ने पंजाब नेशनल बैंक में अधिकारी पद से स्वैच्छिक सेवानिवृति लेकर पूर्णरूपेण समाजसेवा में लग गए। 9 जुलाई 1966 में न्यू यंग फ्रैंड्स सोसायटी की स्थापना की जिसके माध्यम से विद्यार्थियों की सहायतार्थ विभिन्न योजनाऐं चलाई व विश्वविद्यालय में दाखिले की समस्याओं के समाधन हेतु विश्वविद्यालय सूचना केन्द्र भी प्रांरभ किया। इसी संस्था को सन् 1975 में व्यापक आधार देकर तरूण मित्र परिषद के रूप में स्थापित किया।
समाज सेवा को ले चलाये जाते हैं कई कार्यक्रम
तरूण मित्र परिषद गत् 47 वर्षों से निरन्तर व निर्विघ्न रूप से छात्रा-छात्राओं, विकलांगों, विधवाओं व रोगियों की सेवा सहायता कार्यो में संलग्न है। परिषद द्वारा अशोक जैन के संयोजन में देश के विभिन्न राज्यों मसलन दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, झांरखण्ड व पश्चिम बंगाल में अब तक 122 नेत्र चिकित्सा शिविर व 39 विराट विकलांग कैम्प लगाए जा चुके हैं। परिषद द्वारा 1988 में हैजा निरोधक टीकाकरण कैम्प, 1993 में कश्मीर विस्थापित सहायता, 2000 में गुजरात भूकम्प पीड़ित मानवों के लिए 78 नवीन गृह निर्माण में सहयोग, राजस्थान में अकाल पीड़ित वन्य जीवों के सरंक्षण हेतु खाद्य सामग्री वितरण व बिहार बाढ़ पीड़ित रोगियों को दवाई वितरण आदि बड़े पैमाने पर अनेकों सेवा कार्य किए जा चुके हैं।
सेवा कार्यों को ले कई बार सम्मानित हो चुके हैं संस्था के महासिचव
संस्था के महासचिव श्री जैन को उनकी उल्लेखनीय सामाजिक सेवाओं के प्रति सम्मान करते हुए 1988 में मालवीय साहित्य श्रद्धाजंलि समारोह समिति द्वारा ‘आराधक श्री पुरस्कार‘, ऑल इंडिया डाक्टर्स एसोसिएशन, ईस्ट दिल्ली डाक्टर्स सैल द्वारा ‘डाक्टर्स सैल पुरस्कार‘, 1993 में भारतीय विकलांग संस्थान द्वारा ‘भारतीय विकलांग भूषण पुरस्कार‘, 1997 में अ.भा. दिगम्बर जैन परिषद द्वारा अभिनन्दन पत्र, 1996 में राष्ट्रीय पत्रकार मंच द्वारा सेवाश्री 1996 पुरस्कार, 1999 में किम वैलफेयर क्लब द्वारा ‘नवरत्न अवार्ड‘ व वांगमय विमर्श संस्था द्वारा ‘संस्था संगठन पुरस्कार‘, 2003 में भावना कला मंदिर द्वारा ‘भारतीय गौरव सम्मान‘, राष्ट्रीय सहारा समाचार पत्र द्वारा ‘आज का प्रेरक व्यक्तित्व सम्मान, सूरत ; गुजरात द्ध में जैन विद्यारत्न अलंकरण समारोह 2003 में जैन विद्यारत्न उपाधि, 2009 में ऑल इंडिया क्राइम रिर्फोम्स ऑर्गेनाइजेशन द्वारा ‘आइक्रो राष्ट्रीय अवार्ड 2009, जीटीबी टाइम्स, भारतीय जैन मिलन द्वारा ‘चन्द्रगुप्त मौर्य अवार्ड, 2019 में खबरों का सफर अखबार द्वारा ‘समाज शिरोमणि सम्मान‘ तथा अन्य संस्थाओं द्वारा समय.समय पर सम्मानित किया जा चुका है।
परिषद द्वारा हस्तिनापुर में बनाया गया है श्रद्धासदन भवन
बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश स्थित हस्तिनापुर में तरूण मित्र परिषद द्वारा ‘श्रद्धासदन भवन‘ का निर्माण कार्य करया गया है। इसमें बुजुर्गो के लिए ‘वृद्धा आश्रम‘, बच्चों के लिए कम्प्यूटर प्रशिक्षण, महिलाओं के लिए रोजगार परक प्रशिक्षण, रोगियों की एक्यूप्रेशर पद्धति द्वारा चिकित्सा व अन्य सामाजिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं। वहाँ स्थायी/अस्थायी ठहरने की उचित व्यवस्था है।