एसएसबी के ऑपरेशन ने नक्सलियों को भागने या सरेंडर करने के लिए किया मजबूर : कमांडेंट संजीव कुमार
एसएसबी के ऑपरेशन ने नक्सलियों को भागने या सरेंडर करने के लिए किया मजबूर : कमांडेंट संजीव कुमार
35 वाहिनी सशस्त्र सीमा बल ने हर्षोल्लास के साथ मनाया 18वां स्थापना दिवस
समारोह में सपरिवार शामिल हुए अधिकारी व जवान, महिलाओं और बच्चों के मनोरंजन के लिए खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम का था प्रबंध
डीजे न्यूज, गिरिडीह : 35वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल गिरिडीह ने कमांडेंट संजीव कुमार की अगुवाई में वाहिनी का 18वां स्थापना दिवस सोमवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया।
कमांडेंट संजीव कुमार ने 35वीं वाहिनी के शहीद आरक्षी नीरज छेत्री की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। तत्पश्चात कमांडेंट, अधिकारीगण एवं वाहिनी के समस्त कार्मिकों ने पौधारोपण किया। कमांडेंट ने बल के सभी कार्मिकों व उनके परिवारजनों को एसएसबी के महानिदेशक का शुभकामना संदेश सुनाया एवं वाहिनी के 18वें स्थापना दिवस की शुभकामना दी। इस अवसर पर वाहिनी मुख्यालय प्रांगण में कार्मिकों तथा उनके परिवारजनों के लिए विभिन्न प्रकार के खेल कूद जैसे रसा-कस्सी, म्यूजिकल चेयर, बच्चों के लिए स्पून रेस, जेलेबी रेस आदि का आयोजन किया गया। साथ में मनोरंजन के लिए बच्चों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया ।
कमांडेंट ने खेल कूद प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त किये हुए विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया।
कमांडेंट ने इस मौके पर कहा कि साल 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद, साल 1963 के प्रारम्भ में नेफा(NEFA, वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश), उत्तरी आसाम, उत्तरी बंगाल की सीमावर्ती जनसँख्या के दिलों में धैर्य, साहस एवं मनोबल बनाए रखने तथा देशप्रेम की भावना विकसित करने के उदेश्य से एसएसबी प्रकाश में आयी।
साल 1965 से साल 1991 के मध्य संगठन मणिपुर, त्रिपुरा, जम्मू, मेघालय, सिक्किम, राजस्थान, गुजरात, मिजोरम, दक्षिण बंगाल और नागालैंड के अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में विस्तृत हुआ। इसके बाद साल 2001 से एसएसबी को भारत–नेपाल एवं 2004 से भारत-भूटान अन्तर्राष्ट्रीय सीमा की निगरानी करने के साथ साथ नक्सल विरोधी अभियान के तहत छतीसगढ़, झारखण्ड, बिहार जैसे राज्य में नक्सल गतिविधियों पर लगाम लगाने का दायित्व सौंपा गया। इसी के साथ 35वीं वाहिनी 9 सितंबर 2006 को कुमारसेन, हिमाचल प्रदेश में स्थापित की गई। 2 वर्ष के कार्यकाल के उपरांत इस वाहिनी का स्थानांतरण भारत–नेपाल अन्तर्राष्ट्रीय सीमा की निगरानी करने के लिए वर्ष 2008 में राजनगर, मधुबनी, बिहार में किया गया। इस वाहिनी का स्थानांतरण नक्सल गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए 15 अक्टूबर 2017 को संथाल परगना के जिला दुमका झारखण्ड में हुआ। जिला दुमका में वाहिनी के कार्यकाल के दौरान अनेकों नक्सल विरोधी अभियान चलाये गये। नक्सलियों को भागने तथा आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया। वाहिनी के कार्यों को देखते हुए 2 अप्रैल 2024 को जिला गिरिडीह में वाहिनी का स्थानांतरण किया गया।
उन्होंने अपने संबोधन के अंत में पुन : समस्त कार्मिकों को वाहिनी के स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए पूर्ण निष्ठा के साथ कर्तव्य निर्वहन करने का संदेश दिया ।
इस अवसर पर डॉ अनिल कुमार, द्वितीय कमान अधिकारी (चिकित्सक), किसलय उपाध्याय, उप कमांडेंट, संजय प्रसाद, उप कमाडेंट के साथ अन्य कार्मिक एवं उनके परिवार–जन उपस्थित रहे।