डुमरी और पीरटांड़ में प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा पर विशेष कार्यशाला आयोजित
डुमरी और पीरटांड़ में प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा पर विशेष कार्यशाला आयोजित
गिरिडीह : गिरिडीह जिले के डुमरी और पीरटांड़ प्रखंडों में प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में प्रवासी मजदूरों के पंजीकरण, सरकारी योजनाओं और सुरक्षा उपायों पर चर्चा की गई।
श्रमाधान पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य
कार्यशाला में बताया गया कि जिले के विभिन्न प्रखंडों से रोजगार की तलाश में बाहर जाने वाले मजदूरों को श्रमाधान पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है। साथ ही, जो ठेकेदार मजदूरों को राज्य के बाहर या विदेश लेकर जाते हैं, उन्हें श्रम विभाग से लाइसेंस प्राप्त करना जरूरी है। यह नियम प्रवासी मजदूरों को संभावित धोखाधड़ी और शोषण से बचाने के लिए बनाया गया है।
कैमरून प्रकरण से मिली सीख
कार्यशाला में अफ्रीकी देश कैमरून में फंसे मजदूरों का उदाहरण दिया गया, जहां धोखाधड़ी के कारण मजदूरों का वेतन रोका गया था। इस घटना के बाद संबंधित मिडिलमैन और नियोजकों के खिलाफ बगोदर थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अधिकारियों ने ऐसे मामलों को रोकने के लिए सतर्कता और प्रवासी मजदूरों की सही निगरानी पर जोर दिया।
मुआवजे की व्यवस्था पर चर्चा
कार्यशाला में सहायक श्रमायुक्त ने बताया कि श्रम विभाग द्वारा पंजीकृत प्रवासी मजदूरों को दुर्घटना में मृत्यु होने पर ₹2,00,000 की सहायता राशि प्रदान की जाती है। अपंजीकृत मजदूरों को ₹1,50,000 और सामान्य मृत्यु के मामले में ₹50,000 की सहायता दी जाती है। इसके अलावा, मृत शरीर को उनके पैतृक निवास तक लाने की व्यवस्था भी की जाती है।
अधिकारी और जनप्रतिनिधि रहे उपस्थित
इस कार्यशाला में सहायक श्रमायुक्त, प्रखंड विकास पदाधिकारी (डुमरी और पीरटांड़), प्रमुख, पंचायत समिति सदस्य, मुखिया, उप मुखिया, वार्ड सदस्य, और पंचायत सचिव समेत कई जनप्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
प्रवासी मजदूरों के हित में अपील
कार्यशाला में जनप्रतिनिधियों से अपील की गई कि वे प्रवासी मजदूरों को पंजीकरण कराने के लिए प्रेरित करें और उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में मदद करें।
निष्कर्ष
यह कार्यशाला प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और अधिकारों को सुदृढ़ करने की दिशा में एक प्रभावी कदम साबित हुई। इससे मजदूरों को धोखाधड़ी और असुरक्षित प्रवास से बचाने में मदद मिलेगी।