आदिवासी संस्कृति, प्रकृति और जीवनशैली के प्रति गहरी आस्था को दर्शाता है सोहराय

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आदिवासी संस्कृति, प्रकृति और जीवनशैली के प्रति गहरी आस्था को दर्शाता है सोहराय

डीजे न्यूज, गिरिडीह : गिरिडीह जिले के गंगापुर स्थित मंझिथान धार्मिक स्थल पर 5 जनवरी को आदिवासियों का सबसे बड़ा पर्व सोहराय मिलन समारोह धूमधाम से मनाया गया। आदिवासी छात्रसंघ के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में पूजा अर्चना, सांस्कृतिक कार्यक्रम और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ महापर्व की शुरुआत हुई।

इस अवसर पर बोंगा बुरु की पूजा पारंपरिक तरीके से पुजारी नायके द्वारा की गई। सोहराय पर्व, जिसे संतालों का सबसे महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है, आदिवासी संस्कृति, प्रकृति और जीवनशैली के प्रति गहरी आस्था का प्रतीक है। यह पर्व आदिवासियों के लिए सिर्फ एक त्यौहार नहीं, बल्कि उनकी सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को मनाने का एक माध्यम है।

कार्यक्रम में प्रमुख अतिथियों के रूप में आदिवासी छात्रसंघ के अध्यक्ष प्रदीप सोरेन, सचिव मदन हेंब्रम, मीडिया प्रभारी रमेश मुर्मू, पीरटांड़ बीडीओ मनोज मरांडी, SDPO सदर जीतवाहन उरांव सहित कई वरिष्ठ अधिकारी और समाजसेवी मौजूद रहे।

इस दौरान आदिवासी समुदाय के लोग पारंपरिक परिधानों में समारोह में शामिल हुए और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया। गिरिडीह कॉलेज छात्रावास के नायक सोनेलाल मुर्मू और अन्य छात्र नेताओं ने भी अपनी सहभागिता दर्ज की।

कार्यक्रम में आदिवासी समाज के द्वारा प्रकृति और मानवता के बीच संतुलन बनाए रखने के संदेश को फैलाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया। सभी ने इस महापर्व को एकता, भाईचारे और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने के रूप में मनाया।

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