सोहराय पर्व हमारी सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक : हेमंत सोरेन

0
IMG-20250105-WA0164

सोहराय पर्व हमारी सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक : हेमंत सोरेन

डीजे न्यूज, रांची: “सोहराय पर्व हमारी सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक है। यह पर्व हमें एकता और भाईचारे का संदेश देता है। यह आदिवासी समाज की परंपरा और प्रकृति से जुड़ा ऐसा त्योहार है, जिसमें परिवार, समानता और भाई-बहन के प्रेम की झलक दिखती है।” ये बातें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची विश्वविद्यालय के दीक्षांत मंडप, मोरहाबादी में आयोजित “सोहराय मिलन समारोह-2025” के दौरान कही।

 

प्रकृति संरक्षण में आदिवासी समाज का योगदान

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए समाज के सभी वर्गों को एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा, “आदिवासी समाज हमेशा से प्रकृति के संरक्षक रहे हैं और इसके लिए उन्होंने अनगिनत बलिदान दिए हैं। वर्तमान भौतिकवादी युग में प्रकृति से छेड़छाड़ बढ़ रही है, जिसे रोकने के लिए सभी को आगे आना होगा।”

आदिवासी समाज के विकास के लिए सरकार प्रतिबद्ध

मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय समाज के आर्थिक, सामाजिक और समग्र विकास के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि आदिवासी समाज के कल्याण के लिए कई योजनाएं लागू की गई हैं। “जनजातियों को सुरक्षा देना, उनका शोषण समाप्त करना और समग्र विकास सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है,” मुख्यमंत्री ने कहा। उन्होंने वंचित वर्गों के समग्र विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

 

समारोह में मौजूद रहे कई विशिष्ट अतिथि

इस अवसर पर मंत्री चमरा लिंडा, राजधानी सांवता समिति के संरक्षक सनातन मरांडी, अर्जुन मरांडी, अध्यक्ष मेघलाल सोरेन, डॉ. दिनेश मुर्मू, सुधीर सोरेन, संजय हांसदा, विनय टुडू और समिति के अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

 

सोहराय: प्रकृति और परंपरा का उत्सव

मुख्यमंत्री ने कहा कि सोहराय केवल एक पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति और मानव के बीच सामंजस्य का प्रतीक है। यह पर्व आदिवासी समाज की संस्कृति और उनके प्रकृति प्रेम को उजागर करता है। मुख्यमंत्री ने समाज के सभी वर्गों से इस पर्व के मूल संदेश को अपनाने और प्रकृति के संरक्षण के लिए मिलकर कार्य करने का आह्वान किया।

इस खबर को शेयर करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *