आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले पति को सात साल सश्रम कारावास
डीजे न्यूज, गिरिडीह : पत्नी को आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने वाले पति को सात साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है।जिला जज द्वितीय आंनद प्रकाश की अदालत ने दोषी प्रकाश दास को शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से यह सजा सुनाई है। साथ ही न्यायालय ने दहेज प्रताड़ना में तीन साल की भी सजा सुनाई है।दोनों सजा साथ साथ चलेगी। सजा पाने वाले प्रकाश दास को कुल 15 हजार रुपए जुर्माना जमा करने का भी आदेश दिया गया है।जुर्माना राशि जमा नहीं करने पर छह माह तक अतिरिक्त सजा कारावास में काटनी होगी। न्यायालय ने सोमवार को प्रकाश को दोषी करार दिया था।घटना तिसरी थाना क्षेत्र के रानाडीह की है। जहां काजल देवी ने दहेज प्रताड़ना से तंग आकर छह नवंबर 2019 को फंदे से झूलकर आत्महत्या कर ली थी।इसके पूर्व सजा की बिंदु पर सुनवाई हुई। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने न्यूनतम सजा देने की अपील की। पीपी गोरखनाथ सिंह ने कड़ी सजा की वकालत की।कहा महिलाओं के प्रति हिंसा को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं।इसके बावजूद दहेज के लिए आज भी महिलाएं प्रताड़ित हो रही है। कहा कड़ी सजा समाज मे शांति का पैगाम देगा।न्यायालय ने दोनों पक्षो की दलीलें सुनने के बाद सजा सुनाई।
मृतिका के माता-पिता के अलावा सभी गवाहों ने बदली थी सुर
इस कांड के सूचक मृतिका की मां मुन्नी देवी ने पुलिस को बयान देकर प्राथमिकी दर्ज कराई थी। कही थी कि उसकी बेटी काजल की शादी मार्च 2019 में प्रकाश दास के साथ हुई थी। शादी के बाद बेटी और दामाद खुश रहते थे। सुचिका अपने पति के साथ हिसार हरियाणा में रहती थी। छठ पर्व के समय दामाद के बहन और बहनोई ने शादी का बकाया 81 हज़ार रुपए दहेज की मांग की थी।इसकी सूचना मृतिका ने अपने माता पिता को दी थी। छह नवंबर 2019 को उसके दामाद की बहन ने फोन कर बताई थी कि काजल पागल हो गई है। हाथ में छुरी चाकू लेकर घूमती है। बताया था कि पेट में दर्द होने के कारण अस्पताल में भर्ती हैं। ट्रेन पकड़कर 9 नवंबर को जब सदर अस्पताल आई तो काजल मृत पड़ी थी।बताया था कि दहेज की मांग पूरी नहीं होने पर प्रताड़ना से तंग आकर शादी के आठ महीने के अंदर काजल ने आत्महत्या कर ली थी।इस मामले में एक से लेकर छह गवाह आत्महत्या को लेकर दिए बयान से मुकर गए थे। न्यायालय ने इन छह गवाहों को विरोधी घोषित किया था। मृतक के माता पिता, डॉक्टर और अनुसंधान कर्ता की गवाही को मानते हुए न्यायालय ने यह सजा सुनाई।