पंचायतों में खुला सुविधाओं से लैस सचिवालय मुखियों को नहीं आ रहा रास

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पंचायतों में खुला सुविधाओं से लैस सचिवालय मुखियों को नहीं आ रहा रास 

मुखिया व कर्मचारी के नहीं बैठने से 

पंचायत सचिवालय की सुविधाओं का नहीं मिल रहा लाभ, 

प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाने को लोग विवश 

प्रकाश कुमार, डीजे न्यूज राजधनवार (गिरिडीह) : सरकार के लाख दावे के बावजूद धनवार प्रखंड के पंचायतों के सचिवालयों से मिलने वाले आवश्यक सेवाओं का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। पंचायत सचिवालयों में मुखिया व कर्मचारियों की उपलब्धता नहीं होने के चलते पंचायत के लोगों को छोटे बड़े कार्यों के लिए प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है। देखा जाय तो धनवार प्रखंड के सभी 37 पंचायतों का यही हाल है। लाखों रूपये खर्च कर प्रत्येक पंचायत में सचिवालय बनाये गए। प्रशासनिक स्तर से वो तमाम सुविधाएं स्थाई रूप से उपलब्ध करायी गयी, जिसकी जरूरत कर्मियों के लिए थी। कुर्सी- टेबल के साथ सोलर संचालित बैटरी इन्वटर के अलावे इंटरनेट कनेक्शन भी उपलब्ध कराया गया ताकि ग्रामीणों का हर छोटे बड़े कार्य का समाधान पंचायत स्तर पर हो सके। मुखिया व सरकारी कर्मचारियों की मनमर्जी इन सभी सुविधाओं पर भारी पड़ती है। पंचायत स्तरीय कर्मचारी आवश्यक बैठकों को छोड़ दें तो कभी भी पंचायत भवन में मौजूद नहीं रहते। माह दो माह में कभी- कभार मुखिया, पंचायत सेवक व रोजगार सेवक आते हैं तो इसकी जानकारी तक ग्रामीणों को नहीं रहती। जिसके चलते ग्रामीण अपने कार्यों के लिए उनसे संपर्क नहीं कर पाते। जब ग्रामीण संबंधित कर्मचारियों से संपर्क कर अपनी शिकायत करते हैं तो कर्मी अपने प्रभार में कई पंचायत होने का बहाना बनाकर जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते हैं। ऐसे में पंचायत के लोगों को जाति, निवास, आय, जन्म, मृत्यु प्रमाणपत्र, मनरेगा से संबंधित कार्य, वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, आवास से संबंधित कार्य समेत अन्य छोटे बड़े कार्यों के लिए लोगों को प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है। कोमन सर्विस सेंटर वाले भी इन कर्मचारियों से कुछ कम नहीं हैं। पंचायत स्तर पर लोगों को सेवाएं देने के नाम पर अपने नाम से पंजीकृत तो करा लिया लेकिन इनकी दुकानदारी गांव के चौक-चौराहो पर चलती है। कॉमन सर्विस सेंटर (प्रज्ञा केंद्र) संचालको को पंचायत भवन में बैठने के लिए प्रशासनिक स्तर से हिदायत दी गई है। लेकिन वह आदेशों का पालन ही नहीं कर रहे हैं।

महिला मुखिया के जगह उनके पति करते हैं प्रतिनिधित्व 

धनवार प्रखंड के 37 पंचायतो में से 20 पंचायत को सजाने व सवारने की बागडोर महिलाओं के हाथों में हैं। लेकिन पंचायत में

प्रतिनिधित्व उनके पति या उनके रिश्तेदार करते हैं। विभागीय बैठकों में भी यही भाग लेते हैं। आश्चर्य की बात यह भी हैं ये कथित जनप्रतिनिधि लोगों के शिकायत पत्र में भी पत्नी के नाम खुद हस्ताक्षर कर प्रखंड कार्यालय फॉरवर्ड भी कर देते हैं।

भल्लूटांड के सुशील राय के अनुसार प्रखंड के सभी पंचायत भवन में प्रशासन की ओर से तमाम सुविधाएं दी गई हैं। बाबजूद मुखिया तथा पंचायत सेवक,रोजगार व सीएससी संचालक पंचायत भवन में नहीं बैठते हैं।

इस कारण 

वृद्धा व विधवा पेंशन, जाति, आवासीय व आय आवासीय प्रमाण पत्र बनवाने के अलावे किसानों को लगान रसीद कटवाने के लिए अंचल व प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है। जिससे उन्हें काफी परेशानी उठाना पड़ता है।

वार्ड सदस्य संतोष कुमार राय ने प्रशासन से मांग की है कि पंचायत भवनों में जनप्रतिनिधि व कर्मचारियों को बैठने के लिए प्रेरित करें ताकि ग्रामीण स्तर पर लोगों को इसका लाभ मिल सके।

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