सावित्री बाई फुले के विचार और कार्य आज भी प्रेरणा का स्रोत : विद्रोही
सावित्री बाई फुले के विचार और कार्य आज भी प्रेरणा का स्रोत : विद्रोही
महुआटांड़ में मनी सावित्रीबाई फुले की 194वीं जयंती
डीजे न्यूज, धनवार, गिरिडीह : परसन पंचायत स्थित ग्राम महुआटांड़ में सोमवार को दलित शोषित समता मुल्क समाज संघ द्वारा भारत की प्रथम शिक्षिका और राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले की 194वीं जयंती उत्साहपूर्वक मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता पवन कुमार दास ने की, जबकि संचालन प्रकाश दास ने किया।
सावित्रीबाई फुले: शिक्षा की जननी
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बिजय कुमार विद्रोही ने सावित्रीबाई फुले के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे शिक्षा की जननी थीं। 1848 में उन्होंने 18 विद्यालयों की स्थापना की और समाज में शिक्षा का अलख जगाया। उन्होंने अनाथालय और गुप्त प्रसव गृह की भी स्थापना की। उनके इस मिशन में फातिमा शेख और उस्मान शेख ने भी उनका साथ दिया और शिक्षा के आंदोलन को मजबूती दी।
मुख्य अतिथि ने कहा कि सावित्रीबाई ने दलित-शोषित समाज के लोगों में शिक्षा का ललक जगाया और उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया। उनके विचार और कार्य आज भी समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
विशिष्ट अतिथियों का संबोधन
विशिष्ट अतिथि दिनेश कुमार दास और आनंद लाल दास ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने न केवल महिलाओं की शिक्षा पर जोर दिया, बल्कि समाज के हर वर्ग को समानता का संदेश दिया।
उत्साहपूर्ण भागीदारी
कार्यक्रम में किशुन दास, चंदु दास, गणेश दास, खीरो दास, मीना देवी, देवकी देवी, गुड़िया देवी, सीमा देवी, जगनी देवी समेत दर्जनों लोग उपस्थित रहे।
सावित्रीबाई फुले की जयंती के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम ने समाज के सभी वर्गों को शिक्षा और समानता के महत्व को समझने और उनके आदर्शों पर चलने की प्रेरणा दी।